Digital India होता हुआ और
ऑनलाइन कक्षाओं में आने वाली समस्याएं-
Digital India , यदि परिभाषित करना चाहे तो इसका अर्थ यही होगा कि इंडिया को अथवा यहां के नागरिकों को डिजिटल बनाना। अर्थात जो काम इलेक्ट्रॉनिक तरीके से या जिस भी तरह आसानी से किया जा सकता है। उसकी पहुंच सभी तक बनाई जाए।
वर्तमान में हम हर प्रकार से डिजिटल होते जा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी द्वारा Digital India program भी चलाया गया है। इसके तहत प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी का उद्देश्य सभी सरकारी विभागों को देश की जनता के साथ जोड़ना है। ताकि किसी भी सरकारी योजना का लाभ देश का प्रत्येक नागरिक उठा सके। सभी सरकारी कार्यक्रमों से देश की जनता अवगत रहे।
हम डिजिटल तो होते जा रहे हैं। परंतु कहते हैं ना किसी भी काम के बारे में सोचना या उसे रियल लाइफ में आजमा कर देखने में बहुत अंतर होता है।
जी हां हम डिजिटल भी होते जा रहे हैं और हमारा देश भी डिजिटल इंडिया की तरफ कदम बढ़ा रहा है। परंतु आज मैं एक ऐसा उदाहरण आपको बताऊंगा कि आखिर हम कितना डिजिटल हुए हैं। और अभी हमारी क्या स्थिति है।
जब से कोरोना महामारी का काल आया है। तब से हर कोई परेशान है। और क्यों ना होगा परेशान! आखिर इंसान पर्यावरण को तो मजाक ही समझ बैठा था।
कोरोनावायरस के आने के बाद से सारे कामकाज ठप पड़े हैं। और सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है, भविष्य के अर्थव्यवस्था की नीव कहे जाने वाले विद्यार्थियों को। काफी लंबे समय से प्रत्येक स्कूल बंद होने के कारण विद्यार्थी काफी परेशान है। और इनकी शिक्षा को भी काफी नुकसान पहुंचा है।
आगे की स्थिति को देखते हुए सरकार या स्कूलों द्वारा ऑनलाइन शिक्षा पर विचार किया गया। और इससे कुछ समय पश्चात लागू भी किया गया। क्योंकि इसके अलावा विद्यार्थियों तक शिक्षा पहुंचाने का कोई दूसरा उपाय भी न था।
जब ऑनलाइन कक्षाएं प्रारंभ की गई तब सभी खुश भी हुए क्योंकि यह विद्यार्थियों के लिए आरामदायक शिक्षा थी। और छोटे- छोटे बच्चों के लिए तो यह फूले न समाने जैसा था।
ऑनलाइन कक्षाओं में कई प्रकार की समस्याएं थी। जैसे कुछ समय पश्चात जब “जवाहर नवोदय विद्यालय” एवं कुछ सरकारी विद्यालयों द्वारा एक सर्वे कराया गया, तो जो आंकड़ा आया वह चौका देने वाला था।
दरअसल आधे से ज्यादा विद्यार्थियों तक ऑनलाइन शिक्षा पहुंच ही नहीं पा रही थी। और जिन बच्चों तक पहुंच पा रही थी। उनके भी हालात गंभीर थे।
जब ऑनलाइन कक्षाएं प्रारंभ की गई। तब शहरी अभिभावकों ने तो अपने बच्चों के लिए मोबाइल या पड़ने का कोई भी साधन उपलब्ध करवा दिए, परंतु ग्रामीण अभिभावकों के लिए यह काफी मुश्किल था। इनका घर खर्चा अब बढ़ गया था।
जो बच्चे छोटी छोटी कक्षाओं में थे। या जो इंटरनेट को चलाना नहीं जानते थे। उनके साथ अब दिनभर एक बड़े व्यक्ति को रहना आवश्यक था, जो कि ऑनलाइन कक्षाएं चालू करके अपने बच्चे को दे सके।
इससे वह अभिभावक अत्यधिक प्रभावित हुए जो या तो खुद नौकरी करते थे या अपने ऑफिस जाते थे। उन्हें अब अपना काम धंधा छोड़कर अपने बच्चों के साथ रहना पड़ रहा था।
साथ बैठकर पढ़ाती एक मां