प्रदूषण इसके प्रकार और इससे होने वाले नुकसान
हमारे आसपास का वातावरण जैसे मृदा, जल, वायु या अनेक प्रकार के संसाधन जो कि पर्यावरण में मौजूद है। और हमारे लिए अत्यंत आवश्यक है। ये कई प्रकार के कार्यों से दूषित होते जा रहे हैं। और दूषित होता पर्यावरण ही प्रदूषण कहलाता है।
जब से इस धरती पर मनुष्य का जन्म हुआ है। तब से मानव और पर्यावरण के बीच काफी गहरा संबंध है। मनुष्य दैनिक जीवन में उपयोग में होने वाली हर प्रकार की वस्तु चाहे वह सीधे से हो या परोक्ष रूप से पर्यावरण पर ही निर्भर है।
प्राचीन काल से ही जब मनुष्य पर्यावरण के महत्व के बारे में जानता था। तब इस की पूजा की जाती थी। उस समय लोगों के अनुसार यदि हम वातावरण को किसी भी प्रकार से कोई नुकसान पहुंचा रहे हैं, तो यह एक प्रकार का पाप ही कहलाता था।
परंतु वर्तमान में इंसान इसे भूल चुका है, हमारे पास सीमित संसाधन है। और जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इंसान धरती को पूरी तरह से खगालता जा रहा है। और आने वाले समय में ईसे पूरी तरह साफ भी कर चुका होगा। किसी को कोई परवाह नहीं है। सब अपने काम में लगे हुए हैं। धरती लगातार प्रदूषित होती जा रही हैं और हर प्रकार के प्रदूषण का फैलाव बढ़ता जा रहा है।
प्रदूषण के प्रकार
अगर हम प्रदूषण के प्रकार के बारे में बात करें तो यह कई प्रकार का हो सकता है। और यह अलग-अलग प्रकार, अलग-अलग तरह से धरती को क्षति भी पहुंचा रहे हैं।
- वायु प्रदूषण
- जल प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
- मृदा प्रदूषण
कुछ दूसरे प्रकार-
- ताप वृद्धि
- अम्लीय वर्षा
- जलवायु परिवर्तन
- ओजोन छेद
अगर छोटे स्तर पर देखा जाए तो प्रदूषण के और भी कई अलग-अलग प्रकार है।
प्रदूषण बढ़ने के कारण
कोई एक ऐसा स्थगित कारण नहीं है, जिससे कि हमारा पर्यावरण दूषित हो रहा है। और प्रदूषण में वृद्धि होती जा रही है। ऐसे अनेक कारण है जिनसे हमारा वातावरण निरंतर अशुद्ध होता जा रहा है।
कुछ निम्न कारण:
इंसान अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए लगातार जंगलों का सफाया करता जा रहा है। किसी को भी किसी भी प्रकार की लकड़ी की जरूरत पड़ती है। तो वह सीधे जंगलों की तरफ रुख कर लेता है। और अपनी पूर्ति के अनुसार पेड़ों की कटाई कर लेता है। इसका सीधा सा असर पड़ता है, हमारे nature पर। क्योंकि पेड़ पौधे ही है जो कि धरती को संतुलित बनाए रखते हैं।
निरंतर पेड़ों की कटाई और वातावरण में कार्बन डाइ ऑक्साइड बढ़ने के कारण धरती का ताप भी बढ़ता जा रहा है। फिर भी कोई पेड़ पौधे लगाना नहीं चाहता है क्योंकि इतना समय किसी के पास है ही नहीं। और गांव में या छोटे कस्बों में तो लोग पेड़ों के महत्व को जानते ही नहीं है अर्थात वे जागरूक ही नहीं है।
बड़े बड़े उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट या हानिकारक रसायनों को सीधे बड़े-बड़े जल स्त्रोतों में छोड़ दिया जाता है। इससे इन उद्योगों के मालिकों को कुछ नुकसान भी नहीं होता है। और इनका काम भी बन जाता है। इससे लगातार जल प्रदूषित होता जा रहा है। और कहीं-कहीं तो पीने के लिए भी पानी उपलब्ध होना मुश्किल हो गया है। उद्योगों से निकलने वाला धुआं भी सीधे खुले वातावरण में छोड़ दिया जाता है। इससे वहां रहने वाले आसपास के लोगों के लिए स्वच्छ वायु भी उपलब्ध होना कठिन हो चुका है।
उद्योग से निकलता हानिकारक धुआं
पूरे विश्व में लगातार जनसंख्या बड़ती जा रही हैं। और इनकी खाद्य पूर्ति के उत्पादन के लिए हमारे पास सीमित जगह उपलब्ध है। जगह कम और उसमें अधिक उत्पादन के लिए किसानों द्वारा अनेक प्रकार के रसायनों का छिड़काव अपने खेतों में किया जाता है। कई तरह के हानिकारक खेत में डाले जाते हैं जिनसे की उत्पादकता बड़े। परंतु इससे निरंतर मृदा प्रदूषित होती जा रही है। और इससे मृदा की खुद की उत्पादकता क्षमता को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है।
टेक्नोलॉजी के जमाने में हर कोई एक दूसरे से आगे निकलना चाहता है। बड़े-बड़े विकसित देशों द्वारा कई प्रकार के हथियार बनाए जा रहे हैं। जिनसे की युद्ध के समय लड़ा जाए। हर कोई एक दूसरे से जीतना चाहता है, परंतु इन विस्फोटको से भी पर्यावरण को काफी खतरा है।
वर्तमान में हर प्रकार की वस्तु की पैकिंग पॉलीथीन अथवा प्लास्टिक में होने लगी है। जो कि आसानी से नष्ट भी नहीं होती हैं। और यह हमारे लिए काफी हानिकारक भी है। यह इधर उधर पड़े होने के कारण मृदा को प्रदूषित करती हैं। और आसानी से जल ना पाने के कारण वायु को भी प्रभावित करती है।
प्रदूषण से होने वाले नुकसान
जब वातावरण इतना अत्यधिक प्रदूषित होता जा रहा है तो इससे हमें नुकसान क्यों न होगा।
प्रदूषण से कई प्रकार की हानिकारक बीमारियां हो सकती हैं। और हो भी रही हैं।
मनुष्य का इम्यून सिस्टम लगातार कमजोर होता जा रहा है। प्रदूषित हवा के कारण लोगों के फेफड़े खराब होते जा रहे हैं।
बहुत कम उम्र में ही लोगों को हार्ट की बीमारी होने लगी है। प्रदूषित जल व दूसरे प्रकार के ड्रिंक्स के कारण अब किडनी खराब होने लगी हैं।
छोटे-छोटे बच्चे जन्म से ही कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।
जल स्त्रोतों के प्रदूषित होने के कारण जलीय जीव जंतुओं की संख्या निरंतर घटती जा रही हैं। और इन्हें काफी नुकसान भी पहुंच रहा है। परोक्ष रूप से हानिकारक रसायन जलीय जीव जंतुओं के माध्यम से मनुष्य के शरीर में भी प्रवेश कर जाते हैं। पहले मनुष्य 70 से 80 वर्ष आसानी से जीता था। परंतु अब 50 वर्ष भी जीना कठिन हो चुका है। और भविष्य में क्या होगा यह भविष्य ही जाने।
प्रदूषण को रोकने के उपाय
ऐसे कई प्रकार के उपाय हैं, जिनसे हम प्रदूषण की मात्रा को कम कर सकते हैं। अथवा रोक भी सकते हैं। सबसे पहले तो अपने आप को जागरूक होना पड़ेगा कि हमारे द्वारा किए जाने वाले किस कार्य से हमें कितना नुकसान पहुंच रहा है। और इससे भविष्य में भी क्या खतरा बढ़ सकता है।
पेड़ पौधो के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। पेड़ पौधों की कटाई को कम किया जाना चाहिए। या इसके विपरीत यदि हम पेड़ पौधे काटते भी हैं, तो हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने होंगे। इससे हमें काफी फायदा होगा।और वातावरण भी स्वच्छ होगा।
उद्योगों से निकलने वाले हानिकारक रसायन जल स्त्रोतों में न छोड़कर कन्ही ऐसे स्थान पर छोड़े जाने चाहिए। जहां किसी को कोई नुकसान न पहुंचे अथवा जहां आसपास कोई बस्ती भी ना रहती हो।
उद्योगों से निकलने वाले धुंए को भी चिमनी के माध्यम से अत्यधिक ऊंचाई में छोड़ा जाना चाहिए जिससे कि हमारे आसपास का वातावरण शुद्ध रहें।
खेतों में हानिकारक रासायनिक खाद डालने की बजाए ऑर्गेनिक खाद के उपयोग को महत्व दिया जाना चाहिए। जिससे की पैदावार भी अच्छी हो और मिट्टी की पैदावार क्षमता भी कम न हो अर्थात मृदा भी प्रदूषित न हो।
हम सब जानते हैं कि हम टेक्नोलॉजी की दुनिया में लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं। और हम किसी भी चीज का आविष्कार कर सकते हैं। परंतु हमारे द्वारा उन्हीं चीजों का आविष्कार किया जाना चाहिए जिससे कि हमें भविष्य में खतरा ना हो।
ऐसे कई और दूसरे तरीके भी है जिनसे हम प्रदूषण को रोक सकते हैं और यदि हम उन्हें डिस्क्राइब करना चाहे तो शायद यह आर्टिकल बहुत लंबा खिंच जाए…….
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