Small Poem on Mother in Hindi
Poem on Mother in Hindi |
कविता – मां की ममता…
नौ माह तुमने गर्भ में पाला,
दसवें में दुनिया में लाया..
शिशुता में स्तनपान करा कर,
घुटने के बल चलना सिखाया…
पल- पल जगती सी आँखो में,
मेरी खातिर स्वप्न सजाया…
अपनी उमर हमें देने को,
मंदिर में घंटिया बजाया…
कामों की गठरी कंधे पर लादे
कभी नहीं उफ्फ किया…
इसीलिए तो माँ गंगाजल होती है,
माँ ममतामयी होती है…
चेहरे के भाव को देख के
हर बात समझ वह जाती है।..
न जाने कैसा जादू है
मेरी धड़कन पढ़ लेती है ।…
मां की ममता कितनी प्यारी कितनी न्यारी,
मां जग में उज्जारि होती है…।
माँ होती है जननी
माँ होती है जीवन का कर्णधार…।
इसकी पल्लू में छिपकर खिलता
नवजात शिशु का संसार…।
इसकी करुणा का कोई अवतार नहीं
इसकी ममता को तार नहीं ….।
माँ ने सवारा सृष्टिलोक को,
मां ने निखारा है वसुन्धरा को.।
माँ है तो हरा भरा संसार,
मां नहीं तो पतझड़ पतवार…।
जब लगती चोट या होता दुःख,
मनुष्य करता मां का ही जाप…।
मां है जननी मां है संसार….।
तुम पर फूल चढ़ाएँ
कैसे तुम तो स्वयं कमल का फूल हो..।
हम तो नहीं भागीरथ जैसे
कैसे सिर से कर्ज उतारें…।
तुम हो खुद ही गंगाजल हो
तुमको हम किस जल से तारें।
तुम ही रब हो तुम ही धाय
हो तुम ही नभ हो तुम ही सब हो….।
माँ ने दिखाया हमें संसार…।
फिर क्यों लोग करते माँ का ही तिरस्कार…।
माँ के त्याग का ईश्वर भी करते गुणगान….।
पर ये मनुष्य नगरी क्यों है अनजान…।
क्या यही है माँ के त्याग का परिणाम…।
इन्हें ज़रूर पढ़े-
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कवयित्री द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
कवयित्री: Jaya Priya
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