कोरोनावायरस पर कविता(poem on covid-19)
आखिर हमने बढ़ती टेक्नोलॉजी और एडवांस होती दुनिया के साथ साथ प्रकृति को भी उत्तल पुथल ही कर दिया था।
देखते ही देखते हमारी दुनिया के अस्तित्व में कोरोना महामारी आई जिसने पूरी तरह से इंसानों को बदल के रख दिया।
इसी महामारी के कारण आए बदलाव और लोगों की प्रतिक्रिया पर हम लेकर आए हैं, कोरोनावायरस पर एक हास्यप्रद कविता। जिसे पढ़ने के बाद आपको बीता हुआ पूरा कोरोनाकाल याद आ जाएगा। कहे तो आपकी पुरानी यादें तरोताजा हो जाएगी।
तो पेश है आपके सामने एक ऐसी कविता जिसे पढ़ने के बाद आपको आपके भूत काल में ले जाने से कोई नहीं रोक सकता।
कविता
कोरोना आया कोरोना आया,
सबके मन एक डर जो लाया।
जो भी इसकी चपेट में आया,
सबको इसने अपना कहर दिखाया।
कितनी सुन्दर थी ना ये दुनिया,
सबको प्यारी थी ये दुनिया।
सब थे अपने काम में व्यस्त,
कोई न था पुरी तरह स्वस्थ।
समय नहीं था किसी के पास,
रहने के लिए अपनों के साथ।
फिर न जाने यह कोरोना आया,
सबके मन में डर जो लाया।
शुरुआत में नहीं दिया किसी ने ध्यान इस पर,
फिर यह लाया इंसान को अपनी औकात पर।
लोग होने लगे थे अपने घरों में बंद,
धीरे-धीरे दुनिया पड़ने लगी थी सुन।
वाहन जो सारे बंद पड़े,
बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़े।
इतिहास में हुआ यातायात पहली बार बंद,
क्योंकि ऐसा करने से महामारी फेली है कम।
अब सब थे अपने घरों में,
कोई नहीं जाना चाहता था किसी के पास में।
जब थे सब अपने घरों में कैद,
तब जंगली जानवर कर रहे थे सड़कों, शहरों की सैर।
कोरोना आया कोरोना आया,
सबके मन एक डर जो लाया।
लगातार फैलती जा रही थी यह बीमारी,
अब कहलाने लगी थी यह महामारी।
सरकार ने सबसे पहले दिमाग लगाया,
शहरों को पहले लॉक कराया।
डॉक्टर हो चुके थे परेशान,
क्योंकि इससे निपटना भी तो न था आसान।
लगातार लड़ाई इसके खिलाफ थी जारी,
वैक्सीन एंटीडोट ढूंढना हो रहा था कठिन,
क्योंकि इस तरह की बीमारी पहले भी तो कभी न थी आई।
कोरोना आया कोरोना आया,
सबके मन एक डर जो लाया।
अमेरिका इटली चीन में देखने को मिली यह बीमारी असली,
क्योंकि इसने हालत कर दी थी इनकी पतली।
जब भारत में यह आया,
चारों तरफ कोरोना कहर छाया।
शुरुआत में ना किसी ने इसे माना,
क्योंकि लोगों ने इस को कमजोर समझा।
प्रारंभ में इसे एक मजाक बनाया,
बाद में कोरोना ने अपना डर सबको दिखलाया।
कोरोना आया कोरोना आया,
सबके मन एक डर जो लाया।
मोदी जी ने किए अनोखे प्रयास,
कभी ताली ताली बजवाई,
तो कभी घर-घर दीपक है जलवाया।
जब भी कोई न्यूज़ चैनल लगाता,
वह हमेशा कोरोना के बारे में ही दिखाता।
जैसे ही कोई न्यूज़ देखें,
ऐसा लगे मानो इससे अब कोई ना बचे।
डॉक्टर की सलाह हमेशा होती,
हाथ हमेशा सेनिटाइज करो ना,
यदि हो इससे सबको बचना।
बार बार साबुन से हाथ धोना,
यदि इसका बाहर ही करना हो खात्मा।
एक मीटर दूर दूसरों से रहना,
अगर इसको फेलने से हो रोकना।
कोरोना आया कोरोना आया,
सबके मन एक डर जो लाया।
इसके प्रति अंधविश्वास की अगर हम बात करें,
लोगों के दिलों में थे ये अनेक सारे।
आम जनता का था यह कहना,
क्या पहली बार आया यह कोरोना।
सर्दी जुकाम खांसी पहले भी तो थे सारे,
तो फिर सब इसे कोरोना क्यों बतला रहे।
सब थे एक तरफ से कोरोना योद्धा,
क्योंकि इससे निपटने में निभा रहे थे सब अपनी भूमिका।
डॉक्टर दे रहे थे गोली दवाई,
तो कुछ कर रहे थे दूसरों को सैनिटाइज।
पुलिस भी नहीं पढ़ रही थी कम,
क्योंकि जनता को घर में करना भी तो था बंद।
यदि कोई घर से बाहर निकलता,
पुलिस वालों से जमकर पीटता।
आम आदमी जब सरकार के नियमो का पालन करता,
तब वह भी एक कोरोना योद्धा कहलाता।
दुनिया की अर्थव्यवस्था इससे कम पढ़े,
क्योंकि काम जो सारे बंद पड़े।
कोरोना आया कोरोना आया,
सबके मन एक डर जो लाया।
विद्यार्थियों को हुआ भारी नुकसान,
क्योंकि अब हो चुके थे घर पर यह परेशान।
नहीं हो पा रही थी इनकी पढ़ाई,
क्योंकि स्कूलों पर पड़ चुकी थी कोरोना की परछाई।
जब ऑनलाइन कक्षाएं हुई प्रारंभ,
तब छात्रों के सामने आई समस्याएं अत्यंत।
प्रकृति को कर दिया था गंदा,
सब कर रहे थे सिर्फ अपना धंधा।
किसी को न थी इसकी परवाह,
अब शायद सबको आ गई थी समझ में इसकी मार।
अब तक लाखों लोग हो चुके थे इसके शिकार,
क्योंकि कोई न था इसका उपचार।
जो काम से थे काफी परेशान,
वह हो चुके थे अब खुश।
जीन की जा चुकी थी नौकरी,
वह समझ रहे थे अपने आप को बदकिस्मती।
छोटे- छोटे छात्र थे काफी खुश,
क्योंकि ये उठा रहे थे लंबी छुट्टी का लुप्त।
वातावरण दिखने लगा अब स्वच्छ ,
क्योंकि उद्योग पड़े जो थे सारे ठप्प।
कोरोना आया कोरोना आया,
सबके मन एक डर जो लाया।
अभी भी इसका कहर है लगातार जारी,
आगे क्या होगा सिर्फ जाने यह महामारी…..
“covid-19, एक मार ऐसी जो सबको बदल दे”
तो कैसी लगी आपको यह कविता यदि आपको पसंद आई हो तो अपने दोस्तो के साथ भी साझा करियेगा जिसके की उन्हें भी अपना कोरोना काल याद आ जाए।
इस कविता में लिखे गए प्रत्येक शब्द या जो उनका मतलब निकलता है, वह सब कवि के अपने विचार हैं।
कवि द्वारा जो भी देखा गया है। जो भी सुना गया उसे इस कविता में पूरी तरह उतारने या सजोने का प्रयास किया गया है।
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