Cycle ki atmakatha essay in Hindi

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आख़िर साइकिल का उपयोग तो हर किसी ने अपनी जिंदगी में अवश्य किया होगा यह परिवहन का एक ऐसा संसाधन हैं जिसे आज भी हर गाव घर में देखा जा सकता है।

आज हम पढ़ेंगे cycle ki atmakatha in Hindi एक साइकिल की आत्मकथा पर निबंध।

                           Cycle ki atmakatha

Cycle ki atmakatha in Hindi short essay 

मैं साइकिल हूं। मुझे बाइसिकल के नाम से भी जाना जाता है मैं कंपनी में तैयार होती हूं। जिसे ही मेरा घर भी कहा जा सकता है।

सामान्यतः में लोहे से बनी हूं जिसकी सहायता से पहले अलग-अलग भागों को बनाया गया और फिर इन्हें जोड़कर मुझे तैयार किया गया है।

मैं बच्चों को बहुत भाँती हूं। जैसे ही कोई बच्चा समझ पकड़ता है वह मुझे पाने की जिद करने लगता है। मुझे चलाकर बच्चों द्वारा अपना मनोरंजन किया जाता है। बड़े चाव से मेरे ऊपर बैठते हैं और फिर मुझे पेडल की सहायता से चलाते हैं।

बच्चों के अलावा में बड़ों को भी बहुत भाँती हूं। मेरा उपयोग किसी जगह जल्दी पहुंचने के लिए करते हैं या अपने किसी सामान को ढोने के लिए भी मेरा उपयोग किया जाता है।

मैं नटखट हूं। मेरा पूरा शरीर दो गोल मटोल से पहिये पर टिका हुआ है। जिनकी सहायता से मैं चलती हूं। पहिये मेरे शरीर के लिए और मेरा उपयोग करने के लिए महत्वपूर्ण आवश्यक अंग है।

एक उद्योग में तैयार करने के पश्चात मुझे अपने साथियों के साथ बाजार में बेचने के लिए भेज दिया गया।

दुकान पर दुकानदार मेरी प्रतिदिन साफ सफाई करता और मुझे संभालकर रखता था। हर दिन वहां छोटे-छोटे बच्चे मुझे खरीदने आते हैं और देखकर चले जाते थे।

एक दिन एक 12 साल का बच्चा अपने पिताजी के साथ आया और उसने मुझे पसंद कर लिया। और मुझे दुकानदार जिसे मैं अपना सब कुछ मानती थी मुझे उस बच्चे के साथ कर दिया। शायद अब मेरा मालिक या यूं कहे तो मेरी देखभाल करने वाला बदल चुका था।

इस बच्चे के घर जाने के पश्चात इसने मेरी रिती रिवाज के साथ पूजा की और धूमधाम से फूलों के साथ मेरा स्वागत सत्कार किया।

समय बीतता गया और यह बच्चा मेरी सहायता से हर कहीं घूमने जाता। मुझे अपने साथ स्कूल ले जाता फिर मेरे सहारे घर आता और यह सिलसिला चलता गया।

यह बच्चा मुझे बहुत प्यार करता था और मेरा भी लगाव इसके साथ हो गया था। मेरे लिए अब यह ही सब कुछ था।

कुछ समय के अंतराल में यह हमेशा मेरी साफ सफाई करता था और मुझे पानी की सहायता से धोता भी था।

हम खुब मजे करते थे। हम दोनों की दोस्ती और गहरी हो चुकी थी। हम हमेशा साथ घूमने जाते थे। साथ में नहाते थे और साथ में स्कूल जाते थे।

मैं अपनी जिंदगी में भरपूर मौज कर रही थी। और मुझे लगता था शायद ही ऐसा आनंद मुझे कभी कहीं प्राप्त हो सकता था। 

धीरे-धीरे कुछ साल बीत गए और अब मैं पुरानी होने लगी थी। मेरे ऊपर इस बच्चे ने ध्यान देना भी बंद कर दिया था। वह कभी-कभी मेरा उपयोग करता था। एक दिन मैंने इस बच्चे को अपने पिताजी से एक नई साइकिल की सिफारिश करते हुए सुना और मैं समझ चुकी थी शायद मेरा कोई महत्व नहीं रहा हैं। और अब मेरा जीवनकाल समाप्त हो चुका है।

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Cycle ki atmakatha in Hindi long essay बाइसिकल की आत्मकथा

मेरे बारे में 

मैं साइकिल हूं। मुझे बाइसिकल भी कहा जाता है। दो पहिए एक सीट, एक hande दो पैडल व कुछ दूसरी चीजों से मिलकर बनी हुई हूं।

मैं निर्जीव हूं लेकिन इंसान के लिए बहुत महत्वपूर्ण हूं।

मेरा जन्म 

मेरा जन्म एक उद्योग में हुआ है। मुझे कुछ इंसानों द्वारा तैयार किया गया। मैं उन लोगों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मुझे बनाया है और इस धरती पर मेरा अस्तित्व प्रदान किया है।

शुरुआत में मेरे अलग-अलग भागों को तैयार किया जाता था और फिर बाद में इन्हें जोड़कर मुझे बनाया गया है 

मेरी विशेषताएं 

मैं एक परिवहन का साधन हूं लेकिन मेरी दुसरे संसाधनों के मुकाबले अलग की खासियत है। ऐसे कई तरह के कार्य हैं जिन्हें में बिना किसी की आवश्यकता के करती हूं और उन्हें बेहतर ढंग से करती हूं।

मुझे चलाना हर किसी के बस की बात नहीं है। मेरा उपयोग करने के लिए मुझे चलाने का ज्ञान होना आवश्यक है।

हा मुझे सीखना इतना मुश्किल भी नहीं है छोटे-छोटे बच्चे मेरा खूब इस्तेमाल करते हैं। और खुश रहते हैं।

मैं जीवनभर अपने साथी का साथ देती हूं। जब तक मेरा मालिक मुझे संभालकर व प्यार से रखता है तब तक मैं स्वस्थ रहती हूं।

ध्यान न देने वह गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर में धीरे-धीरे अपना जीवन नष्ट करने लगती हूं।

मैं इंधन मुक्त हूं। 

यह तो आप जानते ही होंगे हर प्रकार के संसाधन वस्तु को चलने के लिए किसी न किसी प्रकार के ईंधन की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन मुझे तैयार करने वालों ने इस बात का खास ध्यान रखा है।

मैं इधर मुक्त हो। मुझे चलाने अथवा मेरा उपयोग करने के लिए किसी भी प्रकार के ईधन की आवश्यकता नहीं पड़ती हैं।

प्रदूषण मुक्त 

हम सब जानते हैं कि ईधन के प्रयोग से चलने वाले साधन हमेशा धुएँ का उत्पादन करते हैं।

जो कि हम सभी के लिए हानिकारक है और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

चूकी मैं ईधन मुक्त हूं। इसलिए किसी भी प्रकार के धुंये का उत्पादन नहीं करती हु और प्रदूषण मुक्त हूं।

मेरी उपयोगिताएं 

मेरा अनेको जगह उपयोग किया जाता है पहले संसाधन न होने के कारण मेरा बहुत महत्व था लेकिन आज भी मैं कई लोगों के दिलों में राज करती हूं।

  • परिवहन के रूप में 

मैं परिवहन का साधन हूं। मेरी सहायता से लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर आ जा सकते हैं। मैं अपने साथी के समय की बचत करती हूं।

मैं परिवहन का वह साधन हूं जिसमें किसी प्रकार के खर्चे का कोई नाम ही नहीं है। मेरा उपयोग करके खर्चे से बचा जा सकता है।

  • कसरत करने में सहायक 

मेरा उपयोग करने वाले हमेशा स्वस्थ रहते हैं। 

इनकी सेहत अच्छी रहती हैं क्योंकि मेरा उपयोग करने के दौरान में अपने साथी की अच्छी खासी कसरत करवा देती हूं।

प्रतिदिन मेरा उपयोग करके कई बीमारियों से बचा जा सकता है।

  • सामान ढोने में 

मेरा उपयोग कुछ वजनी सामान को ढोने में भी किया जाता है।

लोगों द्वारा मेरे ऊपर अपना सामान लादकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना सामान्य बात है।

मेरा अंत 

इस तरह पूरे जीवनकाल में लोगों की सेवा करते करते ही मेरी जिंदगी पूर्ण हो जाती हैं।

एक समय पश्चात में पुरानी हो जाती हूं। और मेरी उपयोगिता कम हो जाती है। मुझे कोने में कही फेंक दिया जाता है और कबाड़ के रूप में मेरे जीवन का अंत हो जाता है।

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आशा करते हैं आपका महत्त्वपूर्ण कार्य इस आत्मकथा की सहायता से संपूर्ण हुआ होगा और यदि आपके साथियों को इसकी आवश्यकता है तो उनके साथ इस cycle ki atmakatha को अवश्य साझा करें।

और हिंदी अंश को विजिट करते रहें।

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