खता-कार हुये जो मुहब्बत की बात करते है | Mohabbat ki bat kavita
Reading Time: 2 minutes खता-कार हुये जो मुहब्बत की बात करते है… खता-कार हुये जो मुहब्बत की बात करते हैकिसी की जान भी जाये कहां ये लोग ड़रते है I तमाशा वो दिखाकर होश उड़ाकर गये देखोतरस हम खा गये उनपर हमें नादां समझते है I दिखे जो आइना सूरत खुद अपना छुपाते हैबुझाकर वो चिरागों को सजते है … Read more