इतना सुनकर मेरे पैरों के नीचे से जमीं खिसक गई। एक बार कदम पीछे की तरफ हटाना चाहा पर दिल ने गवाही नहीं दी। मेरे चेहरे पर उदासी देखकर उसने बोला अगर आप वापिस होना चाहती है तो हो सकती हैं। मैं थोड़ी देर चुप रही फिर एक लंबी सास लेते हुए बोली जिन बातों से फर्क नही पड़ता क्यू सोचना उसके बारे में।
Love Story in Hindi |
दोस्तों मेरा नाम है शैलेश मिश्रा है कहानियां लिखता हूं। कहानियों के शहर में आपका बहुत-बहुत स्वागत है। आज मैं लिखने जा रहा हूँ। Love Story in Hindi एक ऐसी दिल को छूती हुई कहानी। जिसका शीर्षक है –
पागल लड़का
कहानी ऐसी जो दिल खुश कर दे
Love Story in Hindi | Best Love Story Hindi
मेरा बॉयफ्रेंड मानसून जिससे मेरी ना दोस्ती का रिश्ता है, ना ही दुशमनी का l जब भी मिलता है मैं थोड़ा सा झगड़ लेती हुं ! अगर वो कभी खिड़कियों पर मुझे बैठा देख इग्नोर करके जाने की कोशिश करता है तो मै अपनी बड़ी बड़ी आँखो से घूर कर डरा देती हु l
अब तक सबकुछ सही चल रहा है ,मेरे जीवन मे पर आज थोड़ा सा मूड खराब था l फूल वाले अंकल फूल देर से लाये थे l कह रहे थे cycle पञ्चर हो गई थी मन कर रहा था उनका सर पंचर कर दु | बिना पूजा किये मैं घर से बाहर नही निकलती l
वैसे मैं स्कूल जाती हूँ, पढ़ने नही पढ़ाने l एक सरकारी स्कूल मे पीo टीo टीचर हूँ ये भी सही है फिट रहने का मुझे बचपन से ही शौक था और अब खुद एक्ससरसाइज करने और बच्चों को कराने के बदले हमे सैलरी मिलती है l सब सही चल रहा है, कुछ दिन बाद पास किसी और स्कूल मे फिजिकल कंप्टिसन होने वाला था l जिसके लिए बच्चों को तैयारी करानी थी और मैं आज लेट हो रही थी इतना लेट सायद मैं कभी न हुई l
मै घर से रेल्वे स्टेशन के लिये निकल ली घर से स्कूल जाने के दो रास्ते थेl एक तो रोडवेज बस से दूसरा ट्रेन से रेल्वे स्टेशन घर के पास होने से अपने लिए ट्रेन ही सही थाl
मैं स्टेशन पर पहुंचती उससे पहले मैंने देखा एक लड़का मुझे देखे जा रहा था l देख क्या रहा था घूर रहा था l और घूर ऐसे रहा था जैसे कभी लड़की नही देखी हो l मन तो कर रहा जूती निकाल कर फेक कर मारू उसे पागल कहीं का l तभी बारिश होने लगी हम जल्दी से शेड के अंदर आ गए l
बारिश तेज हो रही थी, तभी मैंने तिरछी आँखो से देखा वो बगल मैं ही खड़ा था पल भर के लिए मेरा गुस्सा सातवे आसमां पर पहुँच गया था l मन कर रहा था उसका डार्क चस्मा निकाल कर ट्रेन के नीचे फेक दु l
मैं तो कहती हु सरकार को घूरने पर भी टैक्स लगा देनी चाहिए l कोई अंजान बन्दा किसी लड़की 2 मिनट से जादा बिना लड़की के सहमति ना देखे l
और देखता है सरकार को टैक्स पे करे l वैसे 2 मिनट भी बहुत जादा है, पर कोई ना इतना तो कर सकते हैं l पर् सोचो कितना टैक्स आयेगा सरकार को l
हम भी खीजे हुए थे। हम जी कोई प्रोब्लम ,जी हमने तो कुछ कहा ही नहीं। ओ हाडबड़ा गया था। देख रहे हैं। सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। मैंने कहा मैं जानती हूं, आप ने कुछ नहीं कहा। और ये सिचुएशन ऐसी ही बनी रहे तो अच्छा है।
हम लोग रेल्वे ट्रैक की ओर देखकर ट्रेन का इंतजार करने लगे। कई मालगाड़ियां गुजरती गई। वो भी आखिर पागल था ।
1 मिनट बाद पलट कर कहता है परफ्यूम तो अच्छा है लेकिन? सेनोरा ट्राई करो वो आपकी आवाज के लिए बनी। हिम्मत तो देखें कहता है सेनोरा ट्राई कर। उसके मुंह में कीड़े पड़े।
लेकिन और धमकाने का टाइम नहीं था मेरे पास! इस टाइप के लड़के की अलग ही ब्रांड होती है । कमरे के अंदर भी नक्शे बाजी।
शाम को घर आई तो झलाते हुए सारी कहानी अपने छोटे भाई को बता दी ओ भी तुरंत जोश मे आ गया कौन है चलो अभी देखता हुं। ये भाई लोग भी बेशक कितने भी छोटे हो पर जब बात बहन की प्रोट्यूकेशन कीआती तो घर के सबसे बड़े बन जाते हैं।
मैंने बात को घुमा दी और मजाक बना कर हँसने लगी। मैं नही चाहती थी की ओ छोटी सी बात पर परेसान करू। आखिर अभी ओ बहुत छोटा था।
अब मैं जब भी जाती तो वो स्टेशन पर जरूर मिलता था। और देखता रहता था। उस दिन वो अपने जूते की लेस बांधते समय भी हमे ही देख ही रहा था। मैंने पूछा क्या देख रहे हो। उसने जबाब दिया की जैसे मैंने बोला था सेनोरा ट्राय करो आप ओ आप के आवाज के लिए बनी है
एक बार मन किया की ऐसे धक्का दु उसे की ट्रेन के नीचे जा कर गिरे पागल लड़का। दिखने मे स्मार्ट है तो कुछ भी करेगा। मै मन ही मन उसे और गलिया देती की उससे पहले ओ बोल पड़ा।
माफ करना मुझे आपको नाराज करने का मन नही था। ओ मैंने आपको पहले दिन फोन पर बात करते हउए सुना था की आप किसी स्कूल मे pt टीचर है। मै एक जिम ट्रेनर हुं। इसलिए आप अपनी सी लगी।
ओहोए होए होए अबे ये तुम्हे किसने बता दिया इंप्रेस करने इक्का जिम ट्रेंनिग तो मेरे लिए जान जैसी हैं । सायद फ़्रॉड कर रहा था। मैंने बातो बातो में ही उससे जिम के कुछ टिप्स के बारे मे पूछे ओ तो मेरा भी वस्ताद निकला। अब हमारी आपस मे थोड़ी बाते शुरू हो गई थी।
दिन गुजरते गए वो मुझसे कभी काम की बातें करता कभी फालतू की कभी मैं खुश कभी मैं नाराज होती। कभी थोड़ा सा मुस्कुरा देती।
लेकिन मैंने खुद को एक दिन एक बुटीक के शॉप पर ये कहते हुए सुना भैया सानोरा परफुम् है क्या।
उस पागल लड़के से रोज बात करने की आदत हो गई थी।
पर हमारी जादा तर बाते फिटनेस को लेके ही होती थी। कभी ओ मेरी डाइट के बारे मे पूछता कभी अपनी बताता । मैंने तो उसे ये भी बता दिया था। की मुझे दूध नही पसंद कैसे बचपन में दूध ना पीने के लिए मा से मार खाती थी।
वो काफी बड़े लोगों का जिम ट्रेनर था कई लोगों को तो उसने मिस्टर डिस्टिक के कंपटिकशन के लिए तैयार किया था। पर्सनाल्टी उसकी भी अच्छी थी। आखिर ओ था भी तो जिम ट्रेनर। मैंने उसे बता भी दिये की l मै उसे पागल लड़का कह कर बुलाती थीl
मैंने उससे ये भी पूछा की तुम मुझे घूरते क्यू रहते थे उसने बताया हर खूबसूरत लड़की को यही लगता है की लोग उसे देख रहे हैं। फिर फिर ओ मुझसे पूछता की गुस्से मे आप कया क्या सोचती हैं मेरे बारे मे मैंने बोला जिन बातों से फर्क नही पड़ता क्यू सोचना उसके बारे में।
मेरा बॉय फ्रेंड मानसून शयद थोड़ा थोड़ा जलने लगा था। इस हफ्ते में उसने हमे दो बार भिगो चुका था जबकि हम दो नो में यह डील पहले से ही हो चुकी थी की तुम् बरसोंगे अपनी मर्जी से और मै भीगूँगी अपने मर्जी से।
ये सारे मर्द एक जैसे होते है। मानसून को लगता था, ये पागल लड़का मेरा बॉय फ्रेंड था पर ऐसा कुछ नही हम मात्र दोस्त थे। पर मनसून को कोन संम्झाए ।
हम स्टेशन पर मिलने वाले उन दो यात्रियों की तरह थे जिनके मंजिल और रास्ते दोनों अलग अलग थे। पर ना चाहते हुए भी एक दूसरे के बारे काफी कुछ जान गए थे। अब हमारे सफर की शुरुवात एक दूसरे के मुलाकात से शुरू होती और शाम ढलते हुए सूरज के थकन के साथ खतम हो जाती।
एक दिन उसने बताया की उसका मिस्टर गाज़ीयाबाद का कंपटिसन है। मैंने कहा बधाई हो। ओ मेरी तरफ देखने लगा और बोला देखो ऐसा है हम बता नहीं रहे है इंवाइट कर रहे हैं हमने भी हाँ मे सर हिला दिया।
अगली सुबह जब मै स्टेशन पहुची तो वो वहाँ नहीं था। पर मुझे कोई जादा आश्चर्य नही हुआ। शाम को घर आई तो मन उदास था। अगली शुबह मेरी नज़र स्टेशन पर बस उसी को खोज रही थी। पर आज भी नही दिखा।
ओ लड़का जिसे मैं हमेसा मन ही मन गलिया देती रहती थी आज ओ मेरे लिए इतना इंपोर्टेंट हो गया था। जैसे हाथ मे पनि हुई घडी मे हम कभी समय बेस्क न देखे पर जब कभी हाथ से ओ घडी कहीं गिर जाती है तो हुमारें नजर बार बार हाथ पर ही जाती है।
अब घर से स्टेशन तक का रास्ता ना जाने कितनी दूर हो गया था जो कटने का नाम नहीं लेता था।
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एक दिन सुबह सुबह मैं स्टेशन पर बैठे ओ बूढ़े बाबा जो ना जाने कितने सालों से चाय की दुकान चलाते थे। उनसे कभी हमारी बात नही हुई थी पर आज ना जाने क्यू मैं उस दुकान की तरफ गई। और एक चाय ली और उनसे उस लड़के के बारे मे पूछा तो उन्हों ने बताया की। बिटिया एक दिन साम को ओ रोड पर कर रहे थे। तभी एक गाड़ी वाले ने उन्हे जोर का टक्कर मारा और ओ दूर जाकर गिरे। सायद उनकी एक टांग टूट गई है लोग उन्हे सिविल हॉस्पिटल मे ले गए थे।
एसिडेंट का नाम सुनते ही मेरे हाथ से चाय कुलहहद नीचे जमीन पर जा गिरा मैं भगति हुई । सिविल होस्पितक़्ल पहुँची।
रिशिपसन के रजिस्टर के सारे पन्ने को पलटने लगी। नाम तो पता नही था पर डेट , उमर और टूटी टांग से पता निकला रूम 32 थैर्ड फ्लोर वहाँ पहुँच कर देखा पैरों प्लास्टर लगे हुए डार्क चस्मा लगाए वो एक किताब पढ़ रहा था।
किताब के पीछे लिखा हुआ था, The life of Divine उसकी नज़र मुझ पर पड़ी। अरे आप यहाँ कहकर किताब साइड मे रख दी। मैं उसे बस एक टक देख रही थी। टसन देख रहे हो ? पैरो प्लास्टर है पर आँखों से चस्मा नहीं उतर रहा है भाई साहब के मैं मन ही मन बड़बड़ाई।
ओह तो फिलहाल आपने सानोरा ट्राई कर ही लिया मैने कहा था ना की ये आपकी आवाज केलिए बना है। फ्लिर्टिंग अभी भी कम नही हो रही भाई साहब की। सच मे यार ये बात आज पता चला की मर्द दर्द नहीं होता बस खूबसूरत लड़की पास मे बैठी हो।
मैंने पूछ की एसिडेंट के बारे में तो उसने बताया की गाड़ी राइट साइड मे ही थी बस मैं रोंग् साइड था। क्युंकी मुझे एक ही आँख से दिखता हैं ,
मैंने थोड़ी आश्चर्य होकर पूछा एक ही आँख से दिखता है क्या मतलब उसने बताया की मैं पहले मलेक्ट्री मे था एक आतंकी अटैक के दौरान मेरी आँखे चली जिससे मुझे नौकरी से निकाल दिया गया उसके बाद मैंने जिंदगी मे हार नहीं मानी और बचपन के सपने जिम ट्रेंनिंग पर फोकस कर लिया।
इतना सुनकर तो मेरे पैरों के नीचे से जमीं खिसक गई। एक बार कदम पीछे की तरफ हटाना चाहा पर दिल ने गवाही नहीं दी।
मेरे चेहरे पर उदासी देखकर उसने बोला अगर आप वापिस होना चाहती है तो हो सकती हैं। मैं थोड़ी देर चुप रही फिर एक लंबी सास लेते हुए बोली जिन बातों से फर्क नही पड़ता क्यू सोचना उसके बारे में।
वो पास पड़ी पानी की उठाने के लिया उठा रहा था की स्पेस कम होने की वजह से ओ ल्डखदा कर गिरने वाला था की उसके हाथ को हमने पकड़ लिया वो मेरे तरफ देख रहा था मैं
उसकी तरफ मेरी सनोरा उसके विल्ड स्टोन से आपस मे मिक्स होने लगी थी। मैंने उन्हे साइड हटा कर बिठाते हुए कहा दूसरी टांग भी तोड़ने का इरादा है क्या हम दोनों हसने लगे।
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NOTE – ये कहानी काल्पनिक घटनाओं पर आधारित है और इसका जीवित और मृत किसी भी शख़्स से कोई संबंध नहीं है, अगर किसी की कहानी इससे मिलती है, तो वो बस एक संयोग मात्र है |
धन्यबाद ll
लेखक द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। लेखक ने स्वयं माना है यह कहानी उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
लेखक: Shailesh Mishra।
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