कोरॉना वायरस का पर्यावरण पर प्रभाव

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प्रस्तावना

कहते हैं ना जब किसी चीज की कोई अति हो जाती है। तो उससे निपटना भी बहुत महंगा पड़ता है। लोगों द्वारा प्रकृति का लगातार शोषण किया जा रहा था। परंतु जैसे ही कोरोनावायरस अस्तित्व में आया लोगों को अपनी असलियत पता चल गई। और प्रकृति भी धीरे-धीरे अपने असली रूप में आनी शुरू हो गई।
असल में वर्तमान में हम जैसा अपने आसपास का वातावरण देखते हैं। वह वैसा है नहीं। अगर वातावरण में प्रदूषित ना हो तो यह बहुत ही सुंदर और आकर्षक है। परंतु इंसान इसकी परवाह न करते हुए इसे लगातार प्रदूषित करता गया और आज नतीजा यह हुआ कि कहीं कहीं तो सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। 
भले ही इंसान ने इसे कितना ही प्रदूषित कर दिया हो परंतु जब से कोरोनावायरस आया है। और प्रत्येक इंसान अपने घर में छुप कर बैठा है। तब से प्रकृति की सुंदरता फिर से बढ़ने लगी है

कोरोनावायरस के आने के बाद पर्यावरण में देखे गए बदलाव-

जितना इंसान चोरी डकैती, मारपीट व लूटपाट जैसी अनेक हरकतों से नहीं डरा हैं या डरा था।  कहे तो आज- कल लोगों को भूत प्रेत से भी डर नहीं लगता है जितना वर्तमान में कोरोना का खौफ लोगों के मन में बैठा है।
और इसका सीधा सा प्रभाव देखने को मिला है हमारी घटती प्रकृति की सुंदरता पर।
कोरोनावायरस के आने के बाद से वातावरण की गंदगी छटने लगी है। हमारे आसपास के पर्यावरण ने अपनी सुंदरता भी बिखेरना आरंभ कर दी हैं। जिन शहरों में पहले सांस लेने तक स्वच्छ हवा नहीं थी वें आज पूरी तरह सुंदर दिखने लगे हैं।
कई अखबारों या दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण को अब पहले से काफी स्वच्छ बताया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक यह बात भी सामने आई थी, कि उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव सरहानपुर से भी गंगोत्री की चौटी दिखने लगी थी। जो कि सरहनपुर से 150 – 200 किलोमीटर दूर थी। सैकड़ों गांव और ऐसे थे, जहां से हिमालय की चोटियों को आसानी से कैमरे में कैद किया जा सकता था।


स्वच्छ वातावरण की एक तस्वीर
कई शहरों में फिर से सुबह-सुबह पक्षियों की चहचहाने की आवाज आने लगी थी। नदियां नाले भी खुद से साफ होने लगे थे। कहीं-कहीं तो हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी मोर भी गलियों में घूमते देखा गया। जिसके बारे में सोचना भी कठिन था।
जहां सरकार द्वारा कई नदियों को साफ करने के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे थे। वह खुद ब खुद अपनी सुंदरता निखेरने लगी थी। अब इन नदियों का पानी फिर से पीने योग्य हो चुका था।

कोरोना से प्रकृति की सुंदरता बढ़ने का कारण-

क्योंकि पूरा देश या कहे तो विश्व भर में कोरोना वायरस फैल चुका था इस कारण लोगों को इधर-उधर होने से रोकने के लिए हर जगह लोकडाउन लगाया गया और तक पूरी दुनिया को रोक दिया गया था।
सारे कामकाज बंद कर दिए गए। जो जहां था। उसे अब कुछ समय के लिए वही रहना था। सारे उद्योग ठप्प पड़ चुके थे। विश्वभर के उद्योगों के बंद होने के कारण ही भारी मात्रा में प्रदूषण में गिरावट देखी गई। क्योंकि यहां से निकलने वाली गंदगी और धुएं पर अब पूरी तरह ताला लग चुका था।
उद्योगों के ठप्प पड़े होने के कारण अब जंगलों का कटना भी कम हो चुका था। क्योंकि कोरोना से पहले अपनी पूर्ति के लिए जंगलों को प्रतिदिन ऐसे साफ किया जा रहा था। जैसे यह हमारे लिए नुकसानदायक हो परंतु अब यह सब बंद था।
सड़कों पर तो जहां इधर से उधर निकलना भी मुश्किल होने लगा था। वहीं कोरोना के कारण अब सड़के  वीरान थी।
यहां तक कि अब सड़कों पर तो जंगली जानवरों को देखा जाने लगा था।
             सड़के कुछ इस तरह देखी गई

 लोगों के लिए सबक

सच में कोरोनावायरस और इसका प्रभाव लोगों के लिए एक सबक साबित हो सकता है। कि आखिर कैसे हम प्रकृति का विनाश करते जा रहे थे। किसी को किसी की परवाह नहीं थी। सब अपने फायदे के लिए बस लगातार काम किए जा रहे थे।
तो भविष्य में हमें अब इस बात पर गौर करना होगा कि हम प्रकृति को बिना नुकसान पहुंचाए कैसे काम करें।
क्योंकि कब क्या कयामत आ जाए कोई नहीं जानता।

उपसंहार

वातावरण अब सुरक्षित तो हो चुका है, परंतु जैसे ही दुनिया धीरे-धीरे वापस अपने पटरी पर लौटेगी फिर से पहले जैसी स्थिति शुरू हो जाएगी, परंतु फिर भी शायद अब लोगों को प्रकृति की सुंदरता का अनुमान लग जाएगा। हम सबको एक मिलकर भविष्य में यह गौर करना होगा कि हमारे द्वारा सिर्फ वही कार्य किए जाने चाहिए जिससे कि हमें फायदा हो परंतु प्रकृति को नुकसान न पहुंचे।
                                    🙏🙏🙏
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