हिंदू मुस्लिम भाईचारा हिंदी कविता | Hindu muslim Bhaichara hindi kavita

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हिंदू मुस्लिम भाईचारा हिंदी कविता

हिंदू मुस्लिम भाईचारा हिंदी कविता

तू पाकिस्तान है मैं हिंदुस्तान हूं
कि तू इंसान है मैं भी इंसान हूं

ये दिलों के बंधन गाए हम हरदम
न आए बिछड़ने का कोई गम
गूंजे जहां में अपने प्यार का सरगम
टूट जाए जिंदगी में अलग होने का भ्रम

तू पाकिस्तान है मैं हिंदुस्तान हूं
कि तू इंसान है मैं भी इंसान हूं

धरती माई के दो संतान
एक हिंदू एक मुसलमान
हैं हम तो इस देश की जान
देश की खातिर देंगे हम बलिदान

तू पाकिस्तान है मैं हिंदुस्तान हूं
कि तू इंसान है मैं भी इंसान हूं

करना भाईचारे का सम्मान
रखना सलामत हमेशा अपना ईमान
लड़ना झगड़ना मारना पीटना रोना धोना
क्या यही है इंसानों की पहचान

तू पाकिस्तान है मैं हिंदुस्तान हूं
कि तू इंसान है मैं भी इंसान हूं

हिंद के वासी पाक के निवासी
बहुत हुआ आपस में उदासी
तुम वीर हो तो मैं हूं साहसी
आओ सच्चाई के लिए चढ़ जाएं फांसी

तू पाकिस्तान है मैं हिंदुस्तान हूं
कि तू इंसान है मैं भी इंसान हूं

राम रहीम सब एक हैं
फिर करते क्या हम आपस में मतभेद हैं
तुम तैयार हो तो मैं होशियार हूं
नफरत को भूला कर करते एक दूजे से प्यार हैं

तू पाकिस्तान है मैं हिंदुस्तान हूं
कि तू इंसान है मैं भी इंसान हूं
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कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।

लेखक:  Kuldeep Kumar Diwakar

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