हिंदी कविता – अकेलापन Akelapan par hindi kavita

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प्रत्येक इंसान के जीवन में कभी न कभी ऐसा क्षण आता है . जब कोई ऐसी घटना घटित हो जाती है जब इंसान खुद को नितांत अकेला पाता है।यह क्षण बहुत ही तिलस्मी होता है ,इसमें कई तरह का भविष्य छिपा होता है,यह उस व्यक्ति के व्यक्तित्व पर निर्भर करता है कि वह अपना भविष्य किस ओर ले जाता है।आप अपने अकेलेपन को अपनी ताकत बना सकते है।इसके लिए आप को एक बात समझनी पड़ेगी।

अकेलेपन से तात्पर्य शारीरिक रूप से अकेला नहीं है बल्कि मानसिक रूप से है,जो भीड़ में रह कर भी अकेला है वहीं इतिहास रचेगा।जो अकेलेपन का मतबल बंद कमरे में रहना समझता है वो सिर्फ और सिर्फ खुद को बर्बाद कर लेगा।इसलिए कहता हूं अकेले रहो परन्तु शारीरिक रूप से नहीं मानसिक रूप से।

हिंदी कविता – अकेलापन

अकेले रहना आसान है
जो न समझा वहीं परेशान है
अकेलापन आराम है
ये खुशियों का वरदान है
यह तुमको खुद से मिलवाती है
भटके हो अगर तो राह दिखती है
क्या छुपा तुम्हारे भीतर
आईने सा साफ दिखती है
अपनी कहानी के तुम प्रमुख पात्र हो
ये पाठ तुम्हे समझाती है
बना तुमको ही दर्शक फिर ये
दोष तुम्हारा बतलाती है
जो समझ सके तुम तर जाओगे
मुश्किलों से तुम लड़ जाओगे
जब सारथी अकेलेपन जैसा पाओगे
बन कर अर्जुन निखर जाओगे।

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कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।

लेखक:  धीरज”प्रीतो

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