हिंदी कविता संग्रह- किसी का साथ
किसी का साथ मिले, तो हम भी ठहरें।
यहां तो हैं सबके बदलते हुए चेहरे।।
भरोसे का दौर, उम्मीदों की राह हम बनाते रहें।
मिले जो भी हमसे, हमें ही गैर बताते रहें।।
अब किस से करें हम जुड़ाव या अलगाव यही सोचते फिरे,
यहां तो हैं सबके बदलते हुए चेहरे।।
किसी का साथ मिले, तो हम भी ठहरें।
यहां तो हैं सबके बदलते हुए चेहरे।।
संग में साथी, साथी में संग हम ढूंढते रहें।
पर दुनियां के लोग हमें, हर एक नया सबक सिखाते रहें।।
वो कहते तू क्या प्रकाशित करेगा दुनियां के अंधेरे,
यहां तो हैं सबके बदलते हुए चेहरे।।
किसी का साथ मिले, तो हम भी ठहरें।
यहां तो हैं सबके बदलते हुए चेहरे।।
समाज में उत्पन्न, आपस में हुए अनमन को हम मिटाते रहें।
वो हमें धोखे पे धोखा, दे कर मन ही मन मुस्कुराते रहें।।
फिर भी हम लोगों में बहाते रहे प्रेम की नहरे,
यहां तो हैं सबके बदलते हुए चेहरे।।
किसी का साथ,मिले तो हम भी ठहरें।
यहां तो हैं सबके बदलते हुए चेहरे।।
हिंदी कविता संग्रह – कर्म और फल
तुम कर्म करते रहो
फल की इच्छा ना करो
कर्म किये बिना ही
फल की इच्छा करना है
मृग्तृष्णा सा
जो आनन्द देता है
केवल पल भर के लिये
तथा अन्त मे बनता है
पश्याताप का कारण
निरंतर कर्म करते रहना
देता है आनन्द मय फल
वह फल
जिस पर केवल हक है तुम्हारा
तुम्हारे परिश्रम का
जो तुमने किया था
तुम्हारे विपरित समय मे
जब तुम बिना विचलित हुए
केवल करते रहे कर्म
निरंतर कर्म करके प्राप्त फल
देता है जीवन भर सूकुन
परिचय: मेरा नाम प्रवीण मांगलिया है
हिंदी कविता संग्रह – राम नाम की धुन है।
राम नाम की धुन है।
राम नाम की धुन है
राम से बढ़कर कोई नहीं है
रटता रहता हूं राम नाम
अब पूरे हो जाएंगे जाप मेरे
ले लूंगा राम भक्ति के सात फेरे
हनुमान राम से मिलवाएंगे
राम भक्ति का दीपक जलाएंगे
जब जब होगी परेशानी
तब तब सुनूंगा राम कहानी
रामचरित्रमानस है श्रेष्ठ
हनुमान की सेवाभक्ति सर्वश्रेष्ठ
श्रद्धा से राम नाम जो जपेगा
भवसागर से वो तरेगा
वैकुंठ धाम पा जाएगा
राम के चरणों में स्थान पा जाएगा।
रचनाकार-उज्ज्वल कुमार श्रीवास्तव
हिंदी कविता संग्रह – गुमनाम
हुँ। मैं गुमनाम
मुझे गुमनाम रहने दे।
ना कर बदनाम
थोड़ा मेरे नाम तो रहने दे।
मिला हुँ।मै अब खुद से
थोड़ा मेरे ये गुमान तो रहने दे।
हुँ। मैं गुमनाम
मुझे गुमनाम रहने दे
खुद से मिला हुँ। मैं इस कदर
इसमें मेरा पैगाम तो रहने दे।
हुँ। मैं गुमनाम
मुझे गुमनाम रहने दे।
खुद को किया है। अलग
इस जहान से
इसमें मेरा निशान तो रहने दे।
हुँ। मैं गुमनाम
मुझे गुमनाम रहने दे।
मतलब परस्त इस दुनिया में
थोड़ा सा ईमान तो रहने दे।
हुँ। मैं गुमनाम
मुझे गुमनाम रहने दे।
कर विश्वास खुद से
ये खुद के इल्जाम
खुद पर तो रहने दे।
हुँ। मैं गुमनाम
मुझे गुमनाम रहने दे।
हिंदी कविता संग्रह – हार के क्यों बैठा हैं यारा
हार के क्यों बैठा है यारा,
अभी आया नही है वक्त तुम्हारा
अभी सफर की शुरुआत है
अभी ना तू हार मान
खामोश सा क्यों रहता है यारा,
अभी मिला नही है जो तुमने चाहा
ये उदासियो के बदल कल छट जायेगे
लोगो का क्या है ,ये तो कल बदल जायेंगे
दुनिया की तू सोचना छोड़,तेरे अपने अरमान क्या हैं
कितनी दफा तोड़ा तुम्हे अपने ही हालतो ने
कितने मौसम गुजरे हैं देखकर आसमानो में
तुमसे कितनों को उम्मीदें हैं ,
तुमसे ही हैं जिस घर का उजियारा
हार के क्यों बैठा है यारा
अभी मिला नही जो तुमने चाहा
अभी तो शुरुआत है ,अभी रास्तों का है करवा
आइनो को पीछे छोड़ तू तूफानों से आंख मिला
डूबने से मालूम होगा ,है समंदर कितना गहरा
हार के क्यों बैठा है यारा
अभी मिला नही जो तुमने चाहा
- कवयित्री उषा पन्नु
हिंदी कविता संग्रह – ग़ज़ल जरूरी तो नहीं
हम जो चाहे हमें मिल ही जाए जरूरी तो नहीं
अपनी हर बात तुम्हें समझाये ये जरूरी तो नहीं ।
होती है कहानीयां एक-दो पन्नौ की
हर कहानी किताब बन जाए ये जरूरी तो नहीं ।
लिहाज मानकर होठं सिले थे मैने
इसे मेरी कमजोरी समझा जाए ये जरुरी तो नहीं।
वक्त-बेवक्त वार होते ही रहेंगे हम पर
पर हर वार सहा जाए ये जरुरी तो नहीं।
तेरा मेरा मिलना तो कुदरत का तकाजा है
किंतु मैं अकेली ना चल पाउ ये भी जरुरी तो नही।
और साथ चलना ही है तो कंधे-से-कंधा मिलाकर चल
हर बार मैं ही पीछे आउ ये जरुरी तो नहीं।
निशा रानी गुप्ता
हिंदी कविता संग्रह , हिंदी कविता संग्रह
पढ़े – हिंदी कविता