हिंदी कविता – अकेलापन
अकेले रहना आसान है
जो न समझा वहीं परेशान है
अकेलापन आराम है
ये खुशियों का वरदान है
यह तुमको खुद से मिलवाती है
भटके हो अगर तो राह दिखती है
क्या छुपा तुम्हारे भीतर
आईने सा साफ दिखती है
अपनी कहानी के तुम प्रमुख पात्र हो
ये पाठ तुम्हे समझाती है
बना तुमको ही दर्शक फिर ये
दोष तुम्हारा बतलाती है
जो समझ सके तुम तर जाओगे
मुश्किलों से तुम लड़ जाओगे
जब सारथी अकेलेपन जैसा पाओगे
बन कर अर्जुन निखर जाओगे।
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कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
लेखक: धीरज”प्रीतो
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