ससुराल पर कविता- लाडो का ससुराल
पालकी मे बैठकर तुम्हे दूर जाना हैं ।
दूर जा कर हम सबको तुम्हे भूल जाना है।
साथ पा कर पिया जी का सब बदल जायेगा।
अपना ही घर पीहर मे बदल जायेगा।
नये पापा नये मम्मी नये सब साथ मे होंगे।
कहो जिससे तुम मन की बात नही वो पास मे होंगे।
रहोंगी लाख अपनो मे पर अपनी कह न पाओगी।
बिना पर्दे के सबके सामने तुम चल न पाओगी।
होंगे सब पढ़े लिखे मगर तुम्हारे मन की कौन पढ़ेगा।
संग केवल पिया का हैं वही साथ मे आगे बढ़ेगा।
वो तुमको तुम उनको समझो हम आशा ऐसी करते हैं।
हम सब हैं अब गैर के माफिक टाटा तुम से करते हैं।
अब तो साथ पिया हैं तेरे फिर क्यों पगली रोती हैं।
ये घटना तो सच मानो किस्मत वालो की होती हैं।
हँस के विदा हो इस आँगन से अंत ये ही अब कहना हैं।
जा लाडो ससुराल को जा अब वही तुम्हे भी रहना हैं।
——————
कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
लेखक: अभिनेन्द्र प्रताप “छोटा सागर
इस कविता के बारे में अपने विचार comment करके हमें ज़रूर बताएं और अपने साथियों तक इसे अवश्य पहुंचाए ।
और हिंदी अंश को विजिट करते रहें।
_________________
अपनी कविता प्रकाशित करवाएं
Mail us on – Hindiansh@gmail.com