विद्यार्थी और अनुशासन। vidyarthi aur anushasan par nibandh

Reading Time: 6 minutes

विद्यार्थी और अनुशासन। vidyarthi aur anushasan par nibandh

विद्यार्थी और अनुशासन दोनों का आपस में इस तरह संबंध है जैसे सुई और धागा। यदि आपके पास सुई और धागे में से सिर्फ कोई एक वस्तु हैं तो दूसरी वस्तु का कोई महत्व नहीं हैं। ठीक उसी तरह विद्यार्थी और अनुशासन का संबंध।

 

विद्यार्थी और अनुशासन
vidyarthi aur anushasan

दोस्तो hindiansh वेबसाइट में आपका तहेदिल से स्वागत हैं इस लेख में हम आपके लिए लेकर आए हैं विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध और अनुच्छेद।

यदि आप विद्यार्थी और अनुशासन(vidyarthi Jeevan aur anushasan par nibandh) से संबंधित किसी तरह का कोई गृहकार्य करना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पढ़ते रहिए। 

यदि आप इस निबंध को प्रस्तावना सहित/रूपरेखा सहित लिखना चाहते हैं तो हमारे पहले वाले निबंध को लिख सकते हैं अथवा शॉर्टकट लिखने के लिए दुसरे अनुच्छेद का प्रयोग कर सकते हैं।

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध। vidyarthi aur anushasan par nibandh

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध
vidyarthi aur anushasan par nibandh

प्रस्तावना

हर विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि विद्यार्थी पढ़ने में दिमागदार हो लेकिन उसने अपने जीवन में अनुशासन का पालन नहीं किया तो शायद उसको एक दिन इसकी भरपाई करनी पड़े।

अनुशासन का पालन करके एक विद्यार्थी अपने जीवन में हर ऊंचाइयों को नाप सकता है। और मुश्किलों का सामना कर सकता है।

अनुशासित विद्यार्थी दुसरो के मुकाबले परिश्रमी हैं। ये हर कार्य को करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं 

विद्यार्थी और अनुशासन का संबंध 

विद्यार्थी और अनुशासन दोनों का आपस में इस तरह संबंध है जैसे सुई और धागा। यदि आपके पास सुई और धागे में से सिर्फ कोई एक वस्तु हैं तो दूसरी वस्तु का कोई महत्व नहीं हैं। ठीक उसी तरह विद्यार्थी और अनुशासन का संबंध हैं। 

एक छात्र जो पढ़ने में अच्छा है। अपनी कक्षा में अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होता है। लेकिन वह गलत कामों में भी ध्यान देता है तो जरूर धीरे-धीरे उसका पढ़ाई संबंधी मन उठने लगता है। 

हर विद्यार्थी को यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि हमें सही मार्ग को चुनने में काफी मुश्किल होती है लेकिन गलत रास्ता चुनने में सिर्फ 1 सेकेंड का समय लगता है। 

एक विद्यार्थी अनुशासन में रहना अपने विद्यालय से सीखता है। हालांकि उसे नैतिक शिक्षा के रूप में अनुशासन में रहना अपने घर के सदस्यों द्वारा ही सिखाया जाने लगता है। 

अनुशासन से तात्पर्य 

जरूरी नहीं है कि अगर कोई छात्र गलत कार्य करता है तो वह अनुशासनहीनता है। अपनों से बड़ों की बात न मानना भी अनुशासनहीनता ही है। अमुशासन का तात्पर्य है अपनें से बड़ों द्वारा बताएं गए तरीकों व नियमों का पालन करते हुए किसी कार्य को करना। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो वह हमें सजा दे सकते हैं।

अनुशासन का सीधा सा अर्थ हैं “नियमों के शासन में रहना।”

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व 

अनुशासन हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है फिर चाहे वह एक छात्र हो, उद्योगपति हो या साधारण व्यक्ति। बिना अनुशासन में रहे कोई व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता है। किसी न किसी समय उसे अवश्य पछताना पड़ेगा। 

अनुशासन में रहने वाला विद्यार्थी अपने लक्ष्य की प्राप्ति बड़ी आसानी से कर लेता है। जबकि एक अनुशासनहीन छात्र समय पर सही निर्णय नहीं ले पाता है। और वह सिर्फ इधर-उधर मस्ती तांक झांक करने में ही रह जाता है। हर छोटे से छोटे काम से लेकर बड़ा काम भी नियमों का पालन करते हुए करने से उसमें हम जल्दी सफलता हासिल कर सकते हैं।

यदि एक छात्र अपने स्कूली समय में ही अनुशासन का पालन करना सीख जाता है तो भविष्य में कभी भी अपने आप को धोखा नहीं देगा अपने काम को टालेगा नहीं और ऐसी कोई गलती नहीं करेगा जिससे कि किसी और को कोई नुकसान पहुंचे।

अनुशासन में रहना ही विद्यार्थी जीवन की पहली सीढ़ी हैं।  यदि विद्यार्थी यह सीढ़ी चढ़ गया  का उसका जीवन का मार्ग आसान हो जाता हैं।  यही विद्यार्थी आगे चलकर देश का भविष्य बनते हैं। अच्छे नागरिक बनकर  देश के विकास में अपनी मह्त्वपूर्ण भागीदारी निभाते हैं। 

उपसंहार 

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन अत्यंत महत्वपूर्ण है। और निसंकोच एक विद्यार्थि को इसका पालन करना चाहिए। कभी भी किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि अभी हमारी मस्ती करने की उम्र है और हमारी गलतियों को माफ कर दिया जाएगा। 

गलतियों को बच्चा मानकर माफ तो कर दिया जाएगा लेकिन इसका खामियाजा आपको आगे चलकर भुगतना पड़ेगा। इसलिए हमेशा बड़ों की बात माननी चाहिए और अनुशासन में रहना चाहिए।

विद्यार्थी और अनुशासन पर अनुच्छेद vidyarthi aur anushasan par anuched

विद्यार्थी और अनुशासन का आपस में इस तरह से परस्पर संबंध है जैसे गुरु और शिष्य का होता है। जिस तरह एक शिष्य गुरु के बिना अधूरा है उसी तरह विद्यार्थी भी अनुशासन के बिना अधूरा है। 

हर किसी के साथ लड़ाई झगड़ा करना, अपने कामों को समय पर ना करना, अपनों से बड़ों की बात ना मानना, गलत कार्य में ध्यान देना यह सभी अनुशासनहीनता के उदाहरण है। 

जबकि अपने कामों को समय से करना, हर वक्त बड़ों की बात मानना, जरूरतमंद की सहायता करना, सबसे मिल जुल कर रहना यह सभी अनुशासन में रहने का उदाहरण है। 

अनुशासन में रहने वाले विद्यार्थियों को हर कोई अच्छा मानता है वह अपने शिक्षकों का, अपने सभी रिश्तेदार का चहेता होता है। 

कभी अपने कामों को टालता नहीं और इनका व्यक्तित्व भी अच्छा होता है। 

हर कार्य को करने का एक निश्चित तरीका होता है। और उसे वास्तविक तरीके से करना ही अनुशासन का पालन हैं। 

अनुशासन में रहने का हमारी शिक्षा का दौर शुरू होता है, हमारी शुरुआत विद्यालय से। यहां अगर एक विद्यार्थी अच्छी संगति में रहकर, अच्छे कार्यों, बातों व जिंदगी के नियमों को सीख जाता है तो आगे चलकर वह निश्चित हीं सफलता का हकदार होता है।

हर विद्यार्थी को अनुशासन का पालन करना चाहिए और कभी भी किसी ऐसे काम पर ध्यान नहीं देना चाहिए जिसके परिणाम स्वरूप किसी तरह सजा दी जाए उसे अनुशासनहीन छात्र कहां जाए।

विद्यार्थी और अनुशासन Frequently asked questions

विद्यार्थी और अनुशासन की रूपरेखा बताइए?

विद्यार्थी और अनुशासन का बहुत ही गहरा संबंध है। इसे आप इस निबंध को पढ़कर बड़ी आसानी से समझ सकते हैं।

अनुशासन से आप क्या समझते हैं?

बिना किसी कोई गलती के हमारे उद्देश्य कार्य को पूरा करने के लिए बनाई गई व्यवस्था। जिसका यदि हम पालन नहीं करते तो हमें सजा दी जा सकती है। जैसे विद्यालय में बिना कोई गलती, शरारत किए शिक्षा ग्रहण करना अनुशासन हैं। 

अर्थात नियमों के शासन में रहना

विद्यार्थी अनुशासन भंग करता है उससे उसका क्या नुकसान होता है?

अनुशासन भंग करने वाला विद्यार्थी ना तो कभी अपने जीवन में सफल हो पाता है और ना ही कभी एक अच्छे व्यक्तित्व का विकास अपने अंदर कर पाता है।

अनुशासन का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

अनुशासन का पालन करने से हमारे अंदर अच्छे व्यक्तित्व का विकास होता है। हम समय की कीमत को समझ पाते हैं और कभी भी अपने कार्यों को टालते नहीं है।

विद्यालय में अनुशासन की आवश्यकता क्यों होती है?

सभी विद्यार्थीयों को एकबद्ध करके रखना। और संस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए अनुशासन अत्यंत आवश्यक है। अन्यथा कुछ छात्रों के कारण दूसरे भी पढ़ नहीं पाएगी।

Spread the love

Leave a Comment