उड़ जा पंख पसार रे – जोश भरी कविता
अलग अलग तरह की मजे़दर कविताओं के साथ आज फिर हम आपके लिए एक मजेदार कविता लेकर आए है जो कि विद्यार्थियों के लिए प्रेरक कविता है !
यह सुंदर सी कविता लिखी है, आर्यपुत्र आर्यन जी महाराज ने जो कि भागवत कथावाचक एवं लेखक है!
विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक hindi कविता |
विद्यार्थियों के लिए प्रेरक कविता। Vidyarthiyon Le Liye Prerak Kavita
उड़ जा पंख पसार रे
ओ सोच रहा क्या बैठा परिन्दे उड़ जा पंख पसार रे
बन सकता जब विश्व बिजेता क्यों ? बैठा मन मार रे
जोशीले पौरुष को हरा दे सिंकदर की औकात नहीं
कूद पड़ो मैदान ए जंग मे चिंता की कोई बात नहीं
चन्द्र किरण को रोक सके ऐसी कोई रात नहीं
शूरवीर को बांध सकी हिजड़ों की कभी जमात नहीं
किस लाचारी मे बैठा तू ? है तुझको धिक्कार रे।
बन सकता जब विश्व बिजेता क्यों ? बैठा मन मार रे।।
हंसते हैं जो हंसने दो तुम उन्हें मजाक बनाने दो
खटक रहा जो दिल दिमाग मे भूल जा उनको जाने दो
जो दुश्मन बनकर बैठा उसको दुश्मनी निभाने दो
दुनिया का है काम यही बस उन्हें मजाक उड़ाने दो
इससे मत घबराओ साथियों यही जगत व्यबहार रे।
बन सकता जब विश्व बिजेता क्यों ? बैठा मन मार रे।।
होना चाहो सफल अमल इन बातों पर कर लेना तुम
रखो लक्ष्य पर ध्यान वेबजह लोगों पर मत देना तुम
जोश जुनून जंग की इच्छा द्रढ़ निश्चय भर लेना तुम
बन जाओगे विश्व बिजेता कदम-कदम बढ़ लेना तुम
आर्यन” ये बल बुद्धि जोश हर विजय का है हथियार रे।
बन सकता जब विश्व-बिजेता क्यों ? बैठा मन मार रे।।
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कवि द्वारा इस गीत को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
रचनाकार – आर्यपुत्र आर्यन जी महाराज
भागवत कथावाचक एवं लेखक
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