आज हम पढ़ने वाले हैं मेरे सपनों का भारत पर कविता। यह कविता पढ़कर हमें अपनें विचार अवश्य बताएं।
गांव गांव तक पहुंचे शिक्षा।
कोई न रहें अधुरा शिक्षित।।
पढ़े लिखे और आगे बढे।
ज्ञान का अंधेरा समाप्त हों।।
एक नए राष्ट्र का निर्माण होगा।
जो मेरे सपनों का भारत होगा।।
धर्म के नाम पर कोइ भेदभाव न हो।
जाती के नाम कोई न जानता हो।।
कहने पर सब भारतीय कहलाए।
ऐसा हो मेरे सपनों का भारत।।
रोजगार मिले यहां सबको।
समान अवसर पैदा हों।।
कोई न रहे बेरोजगार।
सबके पास अपना काम हों।।
गंदगी मुक्त बने भारत।
स्वच्छता चारों ओर दिखें।।
सपना है यह मेरा।
भारत सबसे स्वच्छ रहें।।
सबका साथ विकास हो।
मिले सबको तमाम सुविधाएं।।
किसी की न रहें कोई कमी।
फिर से यह सोने की चिड़िया कहलाए।।
चारों और हो बस हरियाली।
अन्न की न कोई कमी पढ़े।।
सभी तक पहुंचे खाना।
भूखा ना कोई सोए।।
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आशा करते हैं आपका महत्त्वपूर्ण कार्य इस अनुच्छेद की सहायता से संपूर्ण हुआ होगा और यदि आपके साथियों को इसकी आवश्यकता है तो उनके साथ इस मेरे जीवन का लक्ष्य अनुच्छेद को अवश्य साझा करें।
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