मातृभाषा भाषा दिवस कविता – हरियाणवी लोकगीत

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मातृभाषा भाषा दिवस कविता

मातृभाषा भाषा दिवस कविता

हरियाणवी लोकगीत


हरियाणवी भाषा आज बोल बोला है,
हर आदमी बोल नहीं सकता इस बोली को।

इतिहास इसका बहुत प्राचीन है महाभारत काल,
कौरव की मुख्य भाषा रही यूं है इसका कमाल।

राग रागिनी और लोकगीत है इसका मुख्य संगीत,
आधुनिक काल में भी इसके है मशहूर गीत ।

लोक नृत्य और लोक नाट्य भी है इसके अंग,
सांग और रामलीला भी इस बोली में करते संग।

लखमी बाजे धनपत मांगे दयाचंद है मुख्य कवि,
आज भी इनकी बोली में लिखी कृति है मशहूर कवि ‌।

खान मनजीत भी है प्रेमी अपनी मां बोली का,
सारे भाई बहन प्यार करो अपनी मां बोली का।

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कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
रचनाकार – खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड तह गोहाना जिला सोनीपत हरियाणा
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