मकर संक्रांति पर कविता 2023 | Makar Sankranti Par Kavita

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Makar Sankranti Par Kavita
मकर संक्रांति पर कविता 2023 

मकर संक्रांति पर कविता- मकर संक्रांति की क्रीड़ा

परिंदों की पीड़ा मकर संक्रांति पर
पतंग संग डोर की मत करो क्रीड़ा
आसमान भले ही पतंग संग डोर 
हम परिंदों के लिये जानलेवा है यह क्रीड़ा
पतंग संग डोर उड़ती भले ही तुम 
आसमान में अच्छी लगती हो
हम परिंदों की पीड़ा को भी समझो
उत्सव है न कि हिंसा फैलाने वाली क्रीड़ा

हम निकले कब यही बताओ
पतंग संग डोर इंसानो के लिये भी जानलेवा क्रीड़ा 
परिंदे तो देख सकते है बोल नही सकते
लेकिन इंसान के हाथों इंसान से पतंग 
ओर उसके संग चली डोर भले ही 
वह मौन रहकर परिंदे व इंसान
 के लिये भी अच्छी नही यह क्रीड़ा

मकर संक्रांति उत्सव पीड़ा देने का नही
बल्कि यह उत्सव में प्रेम की हो क्रीड़ा
अंधकार में प्रकाश हो न कि
पतंग के संग डोर से करवाओ ऐसी क्रीड़ा
अब तो समझो इंसान अपने ही हाथों
कैसे पापाचार की करते हो क्रीड़ा
देवता भी हो धरती पर अवतरित
ऐसी हो इंसानो ऐसी हो क्रीड़ा
मकर संक्रांति पर पतंग के डोर के संग
किसको कमजोर करने की नही होनी चाहिए 
क्रीड़ा हो तो सब खुशहाल रहे 
ऐसी हो मकर संक्रांति की क्रीड़ा

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कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।

लेखक: अक्षय भंडारी

निवासी : राजगढ़ जिला धार
शिक्षा : बीजेएमसी 
सम्प्रति : पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता

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