बेटी पर छोटी कविता। Beti par kavita
बेटी पर कविता
बेटी हमारे घर में आई,
खुशियों की बारात लाई,
प्यार का दिया जलाया
रोशनी भी साथ लाई ।
बेटी होती है गुणकारी
ना समझो इसने इसने बेचारी
यही कल्पना, यही इन्दिरा
यही प्रतिभा पाटिल है हमारी।
बेटी को पढावांगे
उन्नत समाज बनावांगे,
पढ़ें बेटी यूं ज़हान सुधरे
इसी रीत चलावांगे ।
छोटी बेटी नहीं लपेटी
यूं भ्रम दूर करेंगे,
पढ़ी छोरी होगी तो
छोरे का लारा पर लारा पड़ेंगे।
जिस लड़के से शादी करे
बेटी तु वो लड़का देख लिए,
उस लड़के से तु
अपना दु:ख बाट लिए।
अगर या रीत चल जाएगी
तो हमारा समाज सुधरेगा,
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
का भी समाज सुधरेगा।
कह खान मनजीत बेटियों को
ना समझो पराई,
जिसका बेटा उसी बेटी
कहने जननी माई ।
कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
रचनाकार – खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड तह गोहाना जिला सोनीपत हरियाणा
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