बेटी की विदाई पर कविता। Beti ki vidai par kavita

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आज फ़िर एक मजेदार कविता लेकर हम आए हैं। जो लिखी हैं कवि नेतलाल यादव जी ने। जिसका शीर्षक है बेटी की विदाई पर कविता। कविता में उस दौर का उल्लेख किया गया हैं जब एक नई नवेली दुल्हन सज धजकर अपने घर, मां – बाप को छोड़कर अपने ससुराल जाती हैं।
कवि ने विदाई के उस सुंदर मनोरम दृश्य को कविता में सजोने का प्रयास किया है
साजन के साथ जा रही थी कविता

बेटी की विदाई पर कविता। Beti ki vidai par kavita

कविता- साजन के साथ जा रही थी

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लाल चुनरिया ,परिधान में
गजब ढा रही थी
जैसे प्रभात की किरण ,
अन्तस के तम को ,भगा रही थी
अपने गोरे-गोरे गाल पर
लटका के एक-दो बाल
आँख मिलाई, हल्की मुस्कुराई
नयनों से कर ली बात,वो
साजन के साथ जा रही थी।।

चेहरे पर खुशी की रंगत,
खूब छा रही थी
लाली बिंदिया, बहुत भा रही थी
उसकी विदाई पर,कोकिल कंठ से,
महिलाएं गीत गा रहीं थीं
झुककर कदमों पे,बुजुर्गों से,
वो आशीर्वाद ले रही थी
दुआओं में , उठ रहे थे हाथ
वो साजन के साथ जा रही थी
वो साजन के साथ जा रही थी ।।

कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।

Name : नेतलाल यादव ।

Address : प्लस टू उत्क्रमित उच्च विद्यालय शहरपुरा , जमुआ ,गिरिडीह झारखंड

आशा करते हैं आपको यह कविता पसंद आईं होंगी। ओर आपको अच्छी लगी होगी।

बेटी की विदाई पर कविता के बारे में अपने विचार comment करके बताएं। व दूसरे  लोगो तक अवश्य साझा करें।

और हिंदी अंश को विजिट करते रहें।  

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