पहला प्यार पर कविता।। एक डर सा है pahla pyar kavita

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 “एक डर सा है”

एक बार फिर आपका Hindiansh website में स्वागत है, अलग अलग तरह की मजे़दर कविताओं के साथ आज फिर हम आपके लिए एक मजेदार कविता लेकर आए है जो कि पहला प्यार व उससे होने वाले एक डर से संबधित है !

यह सुंदर सी कविता लिखी है उदयपुर राजस्थान की रहने वाली निकिता सोनू पांड्या ने जो कि नई- नई कविताओं की रचना करने का शौक रखती है !!!

पहला प्यार कविता- एक डर सा है
पहला प्यार कविता

पहला प्यार  कविता – एक डर सा है 

एक डर सा हे उनसे दूर रहने का
एक डर सा हे उनके बिना हर एक दिन बिताने का

काश! आप रुक जाओ
पर एक डर सा हे मैं ये ना बोल पाऊंगी आपको

कुछ अनकहे अल्फाज है
पर एक डर सा हे आपको बता पाऊंगी या नहीं।

हां कुछ मजबूरियां है 
कुछ उलझने हैं काश! मैं समझ पाऊं
पर एक डर सा है मैं ये बोल पाऊंगी या नहीं।

यहीं मेरे अल्फाज है। कविता मेरी जुबां
काश! आप पढ़ कर समझ जाओ
आपका किरदार मेरी जिंदगी में।

पर एक डर सा हे में कभी बता भी पाऊंगी या नहीं।

कवयित्री द्वारा इस गीत को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह गीत उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाया है।

Name :- Nikita Sonu Pandya.

Address ;- Bhinder .

Dist :- Udaipur Rajsthan..

आशा करते हैं आपको यह कविता पसंद आईं होंगी। ओर आपको अच्छी लगी होगी।

अब बस आपसे एक ही निवेदन हैं कि इस सुंदर सी कविता के बारे में अपने विचार comment करके बताएं व अपने दोस्तों, साथियों व रिश्तेदार व अपने प्यार 😅 के साथ, निचे दिख रहें share बटन की सहायता से अवश्य पहुंचाए।

और हिंदी अंश को विजिट करते रहें।  

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