जीवन एक संघर्ष कविता | Jeevan ek sangharsh kavita

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जीवन एक संघर्ष कविता

जीवन एक संघर्ष कविता | Jeevan ek sangharsh kavita 

क्या तेरा क्या मेरा,ये मेरे यारा, जिवन है बहोत प्यारा!
आज बात तु ये समझ ले!ये दिन ना मिलेंगे दोबारा!
खुब अच्छी है सृष्टी!तु खोल दे अपनी दृष्टी!
नयी उम्मीद‌ के साथ कर दे प्यार की पुष्टी   
यु हताश होके ना तु बैठ !ये वक्त भी गुजर जाएगा!
घनी रात के बाद सुरज, फिरसे सवेरा लायेगा!

मोह- माया के पिछे भागके कुछ न हात आयेगा!
मत भाग ईसके पिछे, जो कुछ है वो भी चला जायगा
सोच ना तु बिता हुआ कल!जी भरके जीले आता हुआ पल
ना भाग यु मुश्किलों से डरके! अगर दिखाना हैं कुछ करके 
क्या तेरा क्या मेरा,ये मेरे यारा, जिवन है बहोत प्यारा!
जिवन है बहोत सुंदर बस फुरसत से झाक इसके अन्दर!
कौन गरीब कौन अमीर,जगा दे खुद के अदंर का जमीर!
मेहनत कर खुद खा, ये तेरी प्रकुति है!
मेहनत नही छीनकर खा, यह तेरी विकृती है!
खुद मेहनत कर दूसरो को खिला यह तेरी संस्कृती है!
क्या तेरा क्या मेरा,ये मेरे यारा, जिवन है बहोत प्यारा
वक्त का बन जा भक्त, जिंदगी जादा भी नही जीना सक्त!
सभी को लेके चलना साथ, प्यार से थाम सबका हाथ!
यु वक्त नही किसी के लिए रुकता मृत्यु अटल सत्य है! 
जिसको बदला नही जा सकता!                          
क्या तेरा क्या मेरा,ये मेरे यारा, जिवन है बहोत प्यारा
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कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।

लेखक:  अक्षय पांढरे (फौजी)         

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