कोई बात बने कविता। Koi bat bne kavita in hindi

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 कविता: कोई बात बने 

मन से मन की डोर मिले
तो कोई बात बने
गले मिले सब भूलकर गिले
तो कोई बात बने 
जात-पात के सब भेद मिटे
तो कोई बात बने
नफरत की दीवार हटे
तो कोई बात बने 
अमन का सपना बने हकीकत 
तो कोई बात बने 
दशदगर्दो की न हो हुकूमत 
तो कोई बात बने 
तरक्की की सब चढ़े सीढ़ियां
तो कोई बात बने।।

कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।

Name : विशाल शुक्ला भैरोपुर, मिसरोद

भोपाल, मध्यप्रदेश

आशा करते हैं आपको पसंद आईं होंगी। ओर आपको अच्छी लगी होगी।

अब आपसे एक ही निवेदन हैं कि इस सुंदर सी कविता के बारे में अपने विचार comment करके बताएं व अपने साथियों के साथ निचे दिख रहें share बटन की सहायता से अवश्य अवश्य साझा करें।

और हिंदी अंश को विजिट करते रहें।  

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