सफ़र पर कविता – सफ़र यादों का | Saphar par klavita

Reading Time: < 1 Minute
Saphar par klavita
सफ़र पर कविता

सफ़र पर कविता – सफ़र यादों का

मेरे ज़ेहन के 
खुले आसमां के 
नीचे से होते हुए…

मेरी आँखों की 
घाटियों के किनारों 
से होते हुए…

ऊँचे मजबूरियों के 
पहाड़ों को
लाँघते हुए…

मेरी ख़ामोशियों के 
शांत,घने जंगलों को 
चीरते हुए…

तेरी यादों की 
नदियाँ अनवरत 
गुज़रते हुए…

मेरे दिल के समन्दर में 
इस तरह से आकर
समाती हैं…।

———————————–

कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।

लेखक: संजीत आर.के.ई.

इस कविता के बारे में अपने विचार comment करके हमें ज़रूर बताएं और अपने साथियों तक इसे अवश्य पहुंचाए ।

और हिंदी अंश को विजिट करते रहें।  


Spread the love

Leave a Comment