लता मंगेशकर पर कविता। Lata Mangeshkar Ji Par Kavita

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लता मंगेशकर जी जिन्हें पूरे संगीत के क्षेत्र में पूरे भारतवर्ष में जाना जाता हैं। भारतीय संगीत में कई उपलब्धियां पाने वाली लता मंगेशकर जी का जन्म 28 सितंबर 1929 में हुआ था जिन्होंने 6 फरवरी 2022 को इस दुनियां को अलविदा कह दिया।

आज हम आपके लिए लेकर आए हैं लता मंगेशकर जी पर कविता। कविता पढ़ने के बाद हमें अपने विचार अवश्य बताएं।

लता मंगेशकर पर कविता 

लता मंगेशकर पर कविता 

 आँख खुली हुआ सवेरा,
     फिर भी जग में था छाया अँधेरा |

कुछ देर ये पता चला,
     नही रही स्वर की कोकिला |

सुनकर ये मन टूट गया,
     आँखों से आँसू छुट गया |

मैं याद के जाल में उलझता रहा,
         मन, मन में ही रोता रहा |

आँखों में आँसू लिए में रोये जा रहा था,
    कोकिला के यादों को मै संजोय जा रहे था |

महँगे थी वो कोहिनूर से भी,
       फिर भी सादे सस्ते थी  
सच्चे देशभक्त थी वो ,
   और लोगों के दिलो में बसती थी |

तुम मुझसे दूर चले जाना न मै तुझसे से दूर चली जाउंगी,
     ये गीत सुनाने वाली कोकिला, सचमुच दूर चली गई |

अपनी पीछे लम्बी यादों को छोड़ चली गई 
         सुनकर ये अनहोती रो रहा हैं अंतमन 
हे शील की स्वर कोकिला आपको शत- शत नमन ||

कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।

विशाल कुमार 
छात्र 
देव संस्कृति विश्वविद्यालय 
हरिद्वार (उत्तराखंड )

इस कविता के बारे में अपने विचार comment करके हमें ज़रूर बताएं और अपने साथियों तक इसे अवश्य पहुंचाए ।
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