मोबाइल फोन पर कविता mobile par kavita

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Poem on mobile phon in Hindi मोबाइल फोन पर कविता : में मोबाईल हूं!

Mobile par kavita

मोबाइल! शायद खाने पीने के समान उपयोगी चीज़ है ये। कुछ लोगो का तो मेरे बिन दिन ही शुरू नही होता।
सुबह से लेकर शाम तक व देर रात तक इसके साथ अपना मनोरंजन करते हैं।
आज हम पढ़ने वाले ही मोबाइल फ़ोन पर कविता। पढ़ने के पश्चात अपने विचार जरूर बताएं।

में मोबाइल हूं:-  कविता

में मोबाइल हूं।

टेक्नोलॉजी ने मुझे बनाया है।।

अब चाहकर भी मुझे तुम खत्म नहीं कर सकते।

आखिर दीवाना जो बना दिया मैने तुम्हे ऐसे।।

लोगो के दिलो में मेने राज किया हैं।

मेरे बिना तुम अधूरे हो।।

यह मेने विश्वास दिलाया है।

अब दूर नहीं रह सकता कोई मुझसे।।

में काम ही करता हु ऐसे।

टाइम पास मैं करता।

लोगों के दिल को बहलाता।।

अपनो से बातें में करवाता।

दूर करने में भी हाथ हैं अपना।।

किसी ने मेरा सही उपयोग किया।

कोई मुझे समझ ही नहीं पाया।।

बस लोग करते रह गए अपना समय बर्बाद।

तो किसी ने लाखों कमाया।।

बिन मेरे अब इंसान रह नहीं सकता।

कुछ पल भी अब बीता नही सकता।।

दिन रात पड़े रहते जो मेरे अंदर।

रोशनी उनकी में छीन लेता।।

अच्छी अच्छी फ़ोटो खींचता।

वीडियो भी खूब बनाता।।

फिर हर किसी का अपना।

डाटा चुराने में कोई कसर नहीं छोड़ता।।

अच्छाइयां कूट कूट के भरी।

बुराइयों की भी नहीं, कोई कमी।।

उपयोग मेरा करके।

जिंदगी सवर भी सकती है।।

तो मेरे सैकड़ों नुकसान से।

बर्बाद भी हो सकती हैं।।

चार्जर के बिन में अधुरा हूं।

शाम सुबह मुझे फ्यूल चाहिए।।

हा मुझे बनाया ही ऐसा गया है।

चाहकर भी पीछा नहीं छुड़ाया जा सकता हैं।।

में मोबाइल हूं।

टेक्नोलॉजी ने मुझे बनाया है।।

अब चाहकर भी मुझे तुम खत्म नहीं कर सकते।

आखिर दीवाना जो बना दिया मैने तुम्हे ऐसे।।

में तुम्हारा अपना मोबाइल हूं,

मोबाइल हूं।।

😀😀

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