माँ बाप पर कविता
जीवन में कैसे भी क्षण आएं,
घिरें निराशा की घनघोर घटाए।
कर्त्तव्य से विचलित मत होना,
क्षणिक दु:ख और सुख के कारण,
तुम अपने धैर्य को मत खोना।
जीवन दुःख सुख का संगम है।
दुःख में घबरा कर मत रोना,
जीवन में सुख दुःख आते हैं।
तुम अपने लक्ष्य को मत खोना।
तुम राही हो जीवन पथ के ,
जिस पथ पर तुम क़दम बढ़ाओगे।
नित्य नया कीर्तिमान बनाओगे।
आशीष फलित गुरुवर का होगा,
जीवन को सफल बनाओगे।
जब कभी भी तुम घबरा जाओ,
अपने मां -बाप को याद करो,
कैसे – कैसे तुमको सींचा है!
न कोई गलत राह पर जाना तुम।
दु:खों से मत घबराना तुम ,
तुम किंचित मात्र एक फूल नहीं ,
उनके सपनों का बगीचा हो।
जब कभी तुम घबरा जाओ ,
अपने मां बाप को याद करो,
कैसे -कैसे तुमको सींचा है !
तुम उनका मात्र एक फूल नहीं ,
उनके जीवन का बगीचा हो।।
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कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
लेखक: मलखान सिंह पंथीमाध्यमिक शिक्षकशास. सरदार पटेल उच्च माध्यमिक विद्यालय करोंद भोपाल मध्यप्रदेश
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