bal kavita in hindi |
बाल कविता- कीनू चले ऑफिस
पापा जी जब ऑफिस जाते,
कीनू को वे बहुत ही भाते,,
लैपटॉप काँधे पर टाँगे,
बड़े जतन से बैग लगाते।
काला गॉगल् नयन चढ़ा के
घड़ी बांध मोबाइल उठाते
लिए कार की चाभी हाथ में,
मम्मी को तब गले लगाते।
खाने का डिब्बा पकड़ाती,
पापा को वह विदा कराती,,
बड़ी व्यस्त सी थोड़ी पस्त सी,
मम्मी उसको बड़ी लुभाती।।
कीनू जी का मन मस्ताया!
आज बनूँगा मैं भी पापा,,
झट शीशे में बाल सँवारा,
पापा का ही गॉगल् उठाया।
बस्ता स्कूली! कंधे लटका कर,
दरवाज़े तक जा पहुंचा वह,,
बड़ी अदा से सिर को घुमाया,
और मम्मी को पलट पुकारा।
ऑफिस वाली वेश सजा कर,
कीनू खड़े बस्ता लटका कर,,
समझ गयी मम्मी सब माज़रा
हँस ही पड़ी वहीं पेट दबा कर।
,
कीनू को तब गले लगा कर,,
मम्मी ने किस्सी कर डाली,
पापा बनने की चाहत मम्मी
जी की समझ में आयी।
कीनू भी तब बड़े शरमाये
मम्मी को जब हँसता पाए
पापा भी अब रहे मुस्काये
कीनू सबसे नज़र बचाये।।
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कवियत्री द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवियत्री ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
कवियत्री: सारिका चौरसिया’सजल’
मिर्ज़ापुर उत्तर प्रदेश।।
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