पापा पर कविता – मेरे पापा किसान है

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मेरे पापा किसान है

Papa par Kavita – मेरे पापा किसान है 

मेरे पापा किसान हैं, 
इस देश की जान हैं

करते हैं हर वक्त मेहनत, 
उनके लिए दिन-रात समान है, 
मेरे पापा किसान है

खुद पढ़ाई से रहे अनजान हैं, 
फिर भी उनको संसार का सारा ज्ञान है, 
मेरे पापा किसान है…

करके मेहनत पाया एक मुकाम हैं,
बेटा उनका पुलिस का जवान है,
सारे कामों को पूरा करना ही उनका काम है, 
बेटी को भी वकील बनाया है, 
मेरे पापा किसान हैं…

उगाते वो खेतों में गेहूं और धान है, 
भरते हैं लाखों लोगों का पेट 
फिर भी दुनिया मे खास नहीं पहचान हैं,
लिखने को मैं समस्त संसार का सार लिख दूँ. 
पर अल्फानों पर हँसना ही लोगों का काम है, 
मेरे पापा किसान हैं…

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कवयित्री द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवयित्री ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।

कवयित्री: लक्ष्मी जाट

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