पहली मुलाकात पर कविता
पहली मुलाकात पर कविता
जब पहली मुलाकात हुई
प्यारी प्यारी सी बात हुई
आंखें दो से चार हुई
कुछ कहने को लाचार हुई
सुन मेरी जान गत वर्ष वह आज ही का दिन था
जब सुबह-सुबह तुम तैयार हुए
मिलने को हमसे बेकरार हुए
आए थे हम को अपने दिल में बसाने
फिर लौट कैसे जाते बिना प्यार हुए,
सुन मेरी जान गत वर्ष वह आज ही का दिन था
जब निकल पड़े ठंड में ही उस दिन मेरे लिए
तुम मिले थे उस दिन थोड़े से शह मे थोड़े से हंसते खिलखिलाते चेहरे लिए
मैं भी आई थी तुमसे मिलने ओ महबूब सिर्फ तेरे लिए
उसी मुलाकात के बाद ही तो हमने थे साथ सात फेरे लिए
सुन मेरी जान गत वर्ष वह आज ही का दिन था।
तू मेरा है मैं हूं तेरी न हमें पता था ना किसी को पता था जग में,
तुम बैठे समोसे से ले रहे थे चाय की चुस्कियां मेरे लिए पानी आया था मग में,
बैठे सोच रहे थे कह दो दिल की दास्तां,
तब कह ना सके, फिर छुपा कर दिल का हाल सुनाया था अंगूठी के नग में,
सुन मेरी जान गत वर्ष वह आज ही का दिन था ।
पहली ही नजर में तेरी आंखों में प्यार था
तुम हां कह चुके थे बस मेरी हां का इंतजार था
जवाब मेरा बाकी था लौट चले थे घर अपने
बताओ ना मेरे सनम मेरे रिप्लाई सुनने को दिल कितना बेकरार था
सुन मेरी जान गत वर्ष वह आज ही का दिन था ।
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कवियत्री द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवियत्री ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
कवियत्री: Shilpa Choudhary
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