नारी शक्ति पर कविता |
नारी शक्ति पर कविता
कैसे भुला सकते हो नारी शक्ति को,
हमेशा ही अपना परचम लहराया है इन्होनें।
कौन भूल सकता है माता अनुसूया को,
त्रिदेव को भी बालक बनाया है इन्होनें।
कौन भूल सकता है माता सीता का त्याग,
वनखंड में भी अपना धर्म निभाया है इन्होंनें।
कैसे भुलाओगे माता सावित्री के पवित्र धर्म को,
अपने तप से यमराज को झुकाया है इन्होनें।
कैसे भुला सकते हो रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान को,
अपने शौर्य का लोहा मनवाया है इन्होनें।
क्या भुला सकते हो सावित्री बाई फुले को,
महिला शिक्षा का दीपक जलाया है इन्होनें।
क्या भूल सकते हो स्वर कोकिला लता दीदी को,
अपने स्वर से दुनिया को महकाया है इन्होनें।
अतुलनीय योगदान है इन का विश्व उत्थान के लिए,
इसको शब्दों में यूँ पिरोया नहीं जा सकता,
अपूर्ण है सारा जगत इनके बिना,
परिपूर्ण उसको बनाया नहीं जा सकता।
सत सत नमन है आपको हे नारी शक्ति,
आपके त्याग को यूही भुलाया नहीं जा सकता।
अमर है आपकी शौर्य गाथा,
इसको जगत से मिटाया नहीं जा सकता ॥
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कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
लेखक: उदयवीर सिंह
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