स्त्री पर कविता |
नारी पर कविता। नारी पर कविता इन हिंदी। Naari par Kavita
कविता : स्त्री के अंदर की ज्वाला
स्त्री होना है मेरी पहचान।
मुझसे ही सब रिश्ते जुड़े हैं।।
हाथ थामकर चल लो मेरा।
मुझसे ही नये बंधन बंधे हैं।।
बेजान में कोई वस्तु नहीं।
जो तुम मेरा सम्मान नहीं करते।।
घर की लक्ष्मी कहते हो मुझको।
क्यू तुम मेरा आदर नहीं करते।।
सजावट की मैं कोई चीज नहीं।
जो घर की चारदीवारी में रहूं।।
छोटी-छोटी बातों पर भी।
मैं क्यूं सबके ताने सुनूं।।
मत लो मेरी इतनी परीक्षा।
कि एक स्त्री के अंदर की ज्वाला फट जाएं।।
आएंगी जब-जब मेरे आत्मविश्वास पे बात।
मेरे मौन की आग से सब ध्वस्त ना हो जाएं।।
: इशिका चौधरी
आशा करते हैं आपको यह कविता पसंद आईं होंगी। ओर आपको अच्छी लगी होगी।
अब बस आपसे एक ही निवेदन हैं कि इस नारी पर कविता (naari par kavita) के बारे में अपने विचार comment करके बताएं व अपने साथियों तक नीचें दिख रहें share बटन की सहायता से अवश्य पहुंचा
और हिंदी अंश को विजिट करते रहें।
_________________
अपनी कविता प्रकाशित करवाएं।
Mail us on – Hindiansh@gmail.com
इन्हें ज़रूर पढ़े