जीत पर हिंदी कविता |
जीवन मुश्किलों से भरा है और मुश्किलों से जितना वह कठिन सफर है जिसमें चलकर ही हम नहीं मंजिलों को पा सकते हैं यह विश्वास के एक दिन हम सारी मुश्किलों को पार करके जीवन में सफलता की ओर अग्रसर होंगे हमें आगे बढ़ता है यह कविता इस विश्वास की ओर रेखांकित करती है असंभव कुछ नहीं है जो है सब संभव है प्राप्त है मगर मकर संघर्ष के बिना कुछ भी संभव नहीं हैं इस पोस्ट में हम आपके लिए जीत पर हिंदी कविता लेकर आये हैं। पढ़ने के बाद अपने विचार हमें अवश्य बताएं।
जीत पर हिंदी कविता
मुश्किलों की राह में तू
आस रखना सीख ले
मंजिले मिल जाएंगी
विश्वास रखना सीख ले
मन में नए भाव रख
,घोंसलों का ख्याल रख
एक दिन महल बन जाएगा
तू ईट रखना सीख ले
तू दुखियों का उपचार कर,
पपियो का संघार कर
निकल अपनी राह पर
तू जगत का कल्याण कर
काली अंधेरी रात हो
और हौसलों का साथ हो
हिम्मत से अपनी राह के
चुभते हुए कांटे हटा
हो राह पर कांटे अनेक
चलना पथिक का काम हो
हर कटीली राह पर तू
घास रखना सीख ले
है हौसलों की दौड़ में
थकना मना रुकना मना
तू हर कदम के साथ में
कदम मिलाना सीख ले
आशाओं का दामन उठा
उम्मीद की कश्ती चला
तू हर भंवर का रास्ता मुश्किल बनाना सीख ले
होगा नहीं तुझ सा कोई जो दर्द को भी जीत ले
तू खुद से खुद को जीत कर मंजिल बनाना सीख ले
माना कि जीवन दर्द है सुख का भरोसा कम जरा
तू दर्द देकर तन को जरा मन को मनाना मानना सीख ले
आकाश तुझ पर झुक गया
पंखों में भी होगी उड़ान
हौसले की नाव ले
उम्मीद की कश्ती चला
लहरों से लड़ना कर शुरू
तूफानों से प्यार करना सीख ले
तू ज्ञान की हर रोशनी से
अंधेरों का घर जला
ना हो कहीं अज्ञानता तु
ध्येय यह जीवन बना
तू उठ किसी के द्वार का मुश्किल भरा पत्थर उठा
तू फूल आंगन में खिला तू रह की मुश्किल हटा
तू उठ किसी बच्चे के घर
दिवाली का त्योहार कर
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कवयित्री द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवयित्री ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
रचयिता –सीमा आचार्य
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