जिंदगी खूबसूरत है।
देख सको तो देखो
तितली के रंग-बिरंगे परो को
बादलों से घिरे नीले आसमां को
फूलों से भरी क्यारियों को।
महसूस कर सको तो करो
मुस्कान से उपजे एहसास को
अपनों के संग गुजारे लम्हात को
स्पर्श के जज़्बात को
कि ज़िंदगी खूबसूरत है।।
कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
Name : विशाल शुक्ला भैरोपुर, मिसरोद
भोपाल, मध्यप्रदेश
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