जिंदगी की पहल कविता | Jindagi ki pahal kavita

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जिंदगी की पहल कविता

जिन्दगी थोड़ी कठिन है , पर उसे खुल कर जियो
किसी के कहने से  , उसे बर्बाद मत ही करो
आज तुम्हारे पास है , क्या पता कल तुम्हारे पास हुआ या नही
इसलिए खुद के लिए हर दिन कम से कम दो मिनट  जरूर निकालो
जिंदगी में कभी यह सोच कर निराश मत हो ,
की यह चीज तुम्हारे पास नहीं है
बल्कि यह सोच कर खुश हो 
की जो है वह किसी से बड़ कर नहीं है
जिंदगी सबकी एक जैसी होती है 
कोई उसे सवार लेता है 
कोई उसे बिगाड़ देता है
अब तुम्हारी मर्जी है तुम्हे करना क्या है ?
जिंदगी में कुछ करना है , या जिंदगी को ऐसे ही निकाल देना है…..

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कवयित्री द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवयित्री ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।

कवयित्री:  आशिका जैन (Ashika jain )

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