किसान पर कविता- लिखूं मैं केवल किसान के लिए। Kisan Poem in Hindi

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हर मौसम में कड़ी मेहनत करके अनाज को उत्पन करने वाले किसान को तो आप जानते ही हैं। जो अपनी मेहनत के बदौलत पूरे देश का पेट भरता है
हो सकता हैं आप खुद भी एक किसान के ही पुत्र/पुत्री हों। 

आज हम आपके लिए लेकर आए हैं Kisan Poem in Hindi। किसान पर कविता लिखी हैं हमारी वेबसाइट पर लगातार सक्रीय रहने वाले मनजीत भावड़िया जी ने। 
कृपया इस कविता को पुरा पढे और अपने हर किसान साथी/किसान पुत्र/पुत्री तक पहुंचाएं। जो अपने आप पर गर्व महसूस कर सकें

किसान पर कविता
किसान पर कविता


किसान पर कविता। Kisan Poem in Hindi।

लिखूं मैं केवल किसान के लिए

सर्दी बारिश व गर्मी हर मौसम में
ना मैं लिखूं भगवान के लिए
ना मैं लिखूं धनवान के लिए
ना मैं लिखूं ऊंचे मकान के लिए
लिखूं मैं केवल किसान के लिए।

ना मैं लिखूं बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों के लिए
ना मैं लिखूं अपने चौधर के लिए
लिखूं बस मैं खेत खलियान के लिए।

लिखूं मैं गांव की गलियों के लिए
लिखूं मैं गांव के इंसानों की मजबूरी के लिए
लिखूं मैं इंसान की इंसानियत के लिए
लिखूं मैं प्रजा के दुख के लिए
लिखूं मैं किसान के लिए।

मेरी कलम बहुत बड़े बदलाव ना दे
और ना मुझे उम्मीद है उन बदलावों से
जो खेत खलियान में बीज बो दे
और जात पात को जड़ से खो दे
ना सूं मैं इतना होशियार
लिखूं मैं केवल किसान के लिए।

लिखूं मैं गांव गांव की सड़कों के गड्ढों पर,
जो भर जा जल्दी और नजारा हो अनोखा
बस इतना ही काफी है इंसान के लिए
मैं लिखूं केवल किसान के लिए।

मुझे संसार से कोई आशा नहीं है मुझे पढ़ें
मुझे आशा है मेरा पढ़ें और पथिक आगे बढ़े
मैं लिखूं हूं समाज में क्रांति के लिए
मैं लिखूं केवल किसान के लिए।

मैं लिखूं उन दुबले पतलू के लिए
मैं लिखूं भारत के उन पिछड़े वर्गों के लिए
मैं लिखूं उन फुटपाथ पर सोने वालों के लिए
मैं लिखूं अपने भूखे भारत के लिए
मैं लिखूं केवल किसान के लिए।

आज मैं पिछड़े भारत से ज्यादा
भूखे भारत से डरता हूं
मैं लिखूं भारत में फसलों के लिए
मैं लिखूं भारत में हरित क्रांति के लिए
मैं लिखूं केवल किसान के लिए।

किसान तुझे कभी नहीं किया आराम
पूरे दिन करता रहता अपना काम
किसी ने ध्यान नहीं दिया तेरी तरफ
मैं लिखूं केवल किसान के लिए।

अपनी मेहनत पूरी लगाता है
शाम को रूखी सूखी खाता है
गेहूं धान ज्वार बाजरा उगाने के लिए
मैं लिखूं केवल किसान के लिए।

अपनी मेहनत से अपने बच्चों को पढ़ाया
हमेशा मैंने मेहनत का उनको पाठ सिखाया
नौकरी उनको लगाने के लिए
 लिखूं मैं केवल किसान के लिए।

मेरी तरफ किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया
ना समाज ने मेरे को मान सम्मान दिया 
मेहनत करो मैं परिवार के लिए
लिखूं मैं केवल किसान के लिए।

खुद के परिवार को झोपड़ी में सुलाता है
दूसरों के हमेशा तू घर बनवाता है
कभी नहीं सोची अपने मकान के लिए
लिखो मैं केवल किसान के लिए।

लोकगीत गाकर मैं अपना मन बहलाता हूं
इनको गुनगुनाता हुआ मैं अपना हल चलाता हूं
हमेशा रखता हूं ध्यान खेत के लिए
लिखूं मैं केवल किसान के लिए।

हमेशा रखता खेत में तुम ध्यान
फसल बढ़ती होता पूरा आपका मान
गांव में हूं मैं किसके लिए
लिखूं मैं केवल किसान के लिए।

मैं हमेशा गर्मी में जलता रहता हूं
मैं हमेशा सर्दी में ठरता रहता हूं
हमेशा सोचूं मैं फसल के लिए
लिखो केवल किसान के लिए।

बरसात का भी डटकर सामना करता हूं
आंधी को भी मैं डटकर सामना करता हूं
तू कमाता हमेशा इस संसार के लिए
लिखूं मैं केवल किसान के लिए।

तू हमेशा अपने काम की तरफ ध्यान रखता है
अपनी फसलों का हमेशा गुणगान करता है
 तू हमेशा भोलेपन से प्यार करता है
लिखूं मैं केवल किसान के लिए‌।

आपकी काया हमेशा मिट्टी में धंसी रहती है
महंगाई भी है में हमेशा जकड़े रखती है
बताओ मैं कैसे हूं होशियार
लिखूं मैं केवल किसान के लिए।

खान मनजीत जब मौज करेगा
किसान मजदूर ने समय पर पैसा मिलेगा
फिर किसान की परीक्षा हो जाएगी पास
फिर ने कभी उसकी टूटेगी आस
लिखूं मैं केवल किसान के लिए।

फिर तुम्हारा कैसा भूलेंगे हम शान
जगत आपका और आप जगत का रखोगे मान
किसान इंतजार करता है फसल के लिए
लिखूं केवल किसान के लिए।

ना लिखूं मैं भगवान के लिए
ना लिखूं मैं धनवान के लिए
ना मैं लिखूं ऊंचे मकान के लिए
लिखूं मैं केवल किसान के लिए।
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कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
रचनाकार – खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड तह गोहाना जिला सोनीपत हरियाणा
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