लाचार
क्यों हुँ? मैं लाचार
ये उठा मन में विचार
कर सकता हुँ बहुत कुछ पर मज़बूरी है।
मुझ पर सवार
तैर सकता हुँ पर
कहाँ है। मेरी पतवार
क्यों हुँ? मैं लाचार
ये उठा मन में विचार
इन बंदिशों को तोड़कर
उड़ना चाहता हुँ
आसमान को छूना चाहता हुँ।
है।पैर जंजीरो में मेरे
उसे छुड़ाकर
भागना चाहता हुँ।
क्यों हुँ? मैं लाचार
ये उठा मन में विचार
बदलते दौर में
लोगो को बदलते देख
अपने भरोसे को
झकझोरना चाहता हुँ।
क्यों हुँ? मैं लाचार
ये उठा मन में विचार
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