मेरे मन के आँगन में | Mere Aangan me kavita
मेरे मन के आँगन में, भावनाओ का एक फूल खिला
थोड़ा लचीला, थोड़ा कोमल, नाजुक हीरा अनमोल मिला
मेरे मन के आँगन में, भावनाओ का एक फूल खिला
जिसकी काया का अनुभव सौ खुशियोँ से परे था
थोड़ा नटखट, शैतान, चुलबुला सा एक बुलबुला बना
मेरे मन के आँगन में, भावनाओ का एक फूल खिला
हर रंगो की छाया है उसमे, अदाओ की माया है उसमे
शरारते ऐसी कई गुस्से को शांत कर दे
रोते हुए आँखों में भी वो खुशियों का हर रंग भर दे
हरा, नीला, पीला, गुलाबी सतरंगी मुस्कान खिला
मेरे मन के आँगन में, भावनाओ का एक फूल खिला
नन्हे पग आगे बढे, मानो ऐसे लचकती डाली
रोये तो मासूम सा चेहरा, उमड़े ममता हरियाली
हंसदे तो सौंदर्य गगन में सूरज, चाँद, सितारे
एक साथ उतर खड़े हो, मानो अनगिनत सितारे
मोहन, मोहिनी, नटखट, लड्डू जाने कितना नाम मिला
मेरे मन के आँगन में, भावनाओ का एक फूल खिला
बाते उसकी मीठी सी मानो मिश्री घुल जाये कानों में
दादी- नानी की कहानियों जैसी किस्से उसके बहानों में
प्यार, हंसी, रूठना, मनाना, हठखेलि संसार मिला
मेरे मन के आँगन में, भावनाओ का एक फूल खिला
मेरे मन के आँगन में, भावनाओ का एक फूल खिला
थोड़ा लचीला, थोड़ा कोमल, नाजुक हीरा अनमोल मिला
मेरे मन के आँगन में, भावनाओ का एक फूल खिला
——————-
कवियत्री द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवियत्री ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
कवियत्री: Saroj Bala Singh
इस मेरे मन के आँगन में के बारे में अपने विचार comment करके हमें ज़रूर बताएं और अपने साथियों तक इसे अवश्य पहुंचाए ।
और हिंदी अंश को विजिट करते रहें।
_________________
अपनी कविता प्रकाशित करवाएं
Mail us on – Hindiansh@gmail.com
bahut sunder
Bahut sundar
Bahut sundar
Bahut achhe
very nice