कविता- बेटों से बढ़कर होती है बेटियां | Beto se badhjkar hoti he betiyan

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कविता- बेटों से बढ़कर होती है बेटियां 


कविता- बेटों से बढ़कर होती है बेटियां 

निम्न पंक्तियों में कवि ने कहा है कि बेटा बेटी में कोई भेद-भाव नहीं है बेटी बेटों से बढ़कर होती है जो दोनों कुलों के सम्मान को बनाए रखती है 

ओस की बूंद सी होती है बेटियां,
 बेटों से बढ़कर होती हैं  बेटियां।
बेटों की चाह रखने वालों,
 बिन चाहे होती है बेटियां।।

संकट में साथ छोड़ देता है बेटा,
 संकट में साथ खड़ी होती है बेटियां।
 बेटियों को माना था हमने पराया,
पराई होकर भी अपनी होती है बेटियां।।

बाप का अक्ष होता है बेटा,
मां का अक्ष कहलाती है बेटियां।
ओस की बूंद सी होती है बेटियां ,
बेटों से बढ़कर होती है बेटियां ।।

गर सचिन- सहवाग सा होता है बेटा,
 इंदिरा -कल्पना सी होती है बेटियां।
 पास होकर दूर हो जाता है बेटा,
दूर होकर पास होती है  बेटियां।।

मत करो दूर चाहत में बेटों की,
 बिन चाहत होती है बेटियां।
आंखों का तारा गर होता है बेटा,
मां बाप का गरुर होती है बेटियां।।

 मां बाप की दौलत को
अपना समझे है बेटा ,

मां-बाप को दौलत अपनी
समझती है बेटियां।
ओस की बूंद सी होती है बेटियां,
 बेटों से बढ़कर होती है बेटियां।।

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कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है। 


लेखक:   नन्ना कवि 
            राहुल भारद्वाज

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