कविता- तो अच्छा था…. To Achha Tha

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तो अच्छा था….

इस मतलबी दुनियाँ से हम
चले भी जाते तो”” अच्छा था””
घुट घुट कर यूँ मरने से
मर ही जाते तो “””अच्छा था””…..

कैसे टकराते उन लहरों से,
कैसे हम सागर पार करें
बाप के जैसे थी वो लहरे
आगे जिनके मै बच्चा था,
ऊँगली पकड़कर इस बच्चे की
उसको समझाते तो “”अच्छा था “”           
चले भी जाते तो”” अच्छा था””


कैसे बढ़ जाते आगे हम
जब ख़त्म यही ये रास्ता था,
एक हमी यहाँ पर  थे झूठे
बाकी हर कोई सच्चा था,,..
जो कह ना सके हम होठो से
तुम सुन कर जाते तो “”अच्छा था “”         
इस मतलबी दुनियाँ से हम
चले भी जाते तो”” अच्छा था””
                                    – sharma propertys
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