एक लम्हा था खुशियों से भरा
एक लम्हा था खुशियों से भरा
माँ की ममता की छांव में
गुजरा करता था हर एक पल
उनके पूजनीय पांव में
ये कैसी लहार आई जो
सब कुछ उड़ा कर ले गयी
मेरी सबसे कीमती दौलत
मुझसे चुरा कर ले गयी
प्यार जंहा बरसा करती थी
आज वंहा तन्हाई है
खुशनुमा मौसम में भी जैसे
गम की आंधी आयी है
न गीत सुहाने लगते है
न द्रस्य सुहाना लग रहा
क्या कहु मेरी माँ तुम बिन
हर सख्स बेगाना लग रहा
तुम नदियाँ सी बह गयी
जाने कान्हा किस ओर गयी
मेरी दुनिया को वीराना कर
मुझसे क्यों मुखड़ा मोड़ गयी
ऐसे तुम हमको छोड़ गयी
यादो से पर तुम जा ना सकीं
जब याद तुम्हारी आयी तो
हर वक्त में आँशु बहा न सकीं
तेरे अहसानो का माँ
कर्ज मै कैसे चुकाऊँगी
जो तुमने किया मेरे लिए
वो वक्त कहा से लाऊंगी
क्या तुमने मुझे पुकारा था
जब तुम दुनिया से जा रही
कितना दर्द सहा होगा
क्या याद हमारी आ रही
क्या आज भी तुम हमारे साथ हो
बस एक इशारा देना माँ
अपनों कदमो की आहट बस
चुपके से सुना देना माँ
तुम जंहा भी हो शुकुन से हो
भगवान् तुम्हारे साथ हो
इस गमगीन दुनिया से दूर
कोई गम ना तुम्हारे पास हो।
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कवियत्री द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवियत्री ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
कवियत्री: Saroj Bala Singh
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Ye kavita mene apni Maa (saas) ke is duniya se jane ke baad unki yaado ko dil me rakh kar likhi h
Unhe cancer tha hamari kosiso ke bad bhi hum unhe bacha na paaye
Wah bahot achhi thi unhone mujhe sasural me bhi myke ka sukh Diya h bas unhi ki yaad me mene ye lines likhi hu (I miss you maa)
बहुत सुंदर
दिल छू जाने वाला पंक्तियाँ
Heart touching
Bahut imotional line hai
Bhut bhut acha h very emotional Bahut badiya
Nice or mehant karo app is field me apko success mile good luck
bahot hi bhawatmak kavita hai bahot khub