कंप्यूटर पर कविता – माया कंप्यूटर की | Computer par kavita

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कंप्यूटर पर कविता


कंप्यूटर पर कविता – माया कंप्यूटर की

आज विश्व में कंम्पयूटर की माया बड़ी निराली है 
इंटरनेट से जुड़ा जमाना, सब कामों में आसानी है 
अखबार पढ़ें कंप्यूटर पै.     
देखें दुनियाँ सारी                        
देश – विदेश में  भ्रमण कर लें
कंप्यूटर से ज्ञानी
गीत-संगीत, धर्मक्षेत्र,  सब 
कंप्यूटर में आए
ताश के पत्ते, चौपाल खेल भी 
सब कंप्यूटर पर छाए
चैटिंग, सेटिंग कंप्यूटर पै 
मनमर्जी का खेल करो
बिछा शतरंज की शाही मोहरें 
कंप्यूटर पै ऐश करो
दुनियां भर में मचा है रुक्का ,
महिमा खूब पिछानी है  
इंटरनेट से जुड़ा जमाना सब कामों. ………(१)

दादा -दादी  कंप्यूटर पर 
अपना ज्ञान  बढावैं
किसी बात की नहीं रहे 
चिंता नेट चला मुस्कावैं
नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग से
चुटकी में काम बनावें
कंप्यूटर बिन सब सूना है 
और अधूरापन बाकी 
चमक रही है धाक निराली 
सब इसके बिन अज्ञानी हैं
इंटरनेट से जुड़ा जमाना सब कामों………..(२)

अनुभव, उदभव् विश्वास की कीमत 
कंप्यूटर से पाए जा 
एक क्लिक सै विश्व समूचा, 
साधन,खोज जुटाए जां ‌‌‌‌‌ ‌‌‌‌‌
आमतौर पर कंप्यूटर 
हर घर में बंटवाए जां 
‌ इंडिया के हर न्यूज़ पत्र में
विज्ञापन छपवानी हैं 
इंटरनेट से जुड़ा जमाना सब कामों. …..     (३)

नई क्रांति का तोहफा है 
इसमें नहीं है कोई  हानि    
फिर भी कई ईजाद तरीके, कुछ 
लोगों पर पड़ जा भारी
अजीमुद्दीन करे निवेदन , रखो
बच्चों की शिक्षा जारी
अच्छी आदत से हित सबका 
पढी गुरु की वाणी है 
इंटरनेट से जुड़ा जमाना सब कामों. ………(४)

आज विश्व में कंम्पयूटर की माया बड़ी निराली है 
इंटरनेट से जुड़ा जमाना, सब कामों में आसानी है 

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कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।


लेखक: अजीमुद्दीन सैफी 
Sharda university 
Greater noida 

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