ऐसे बरसे सावन कविता | Ese barse savan kavita

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ऐसे बरसे सावन कविता

ऐसे बरसे सावन
मानो लाया कृषकों की खुशियां।
छम छम मोरनी नाचे बागों में।
आसमान में छाया इंद्रधनुष।
करती मन को मोहित।।
बोलहराते खेत खलियान।
कोयल की बू मधुर धुन।
करती मन को मोहित।।
ऐसे बरसे सावन।
मानव लाया कृषकों की खुशियां।
ऐसे बरसे सावन…
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कवयित्री द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवयित्री ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।

कवयित्री:  भावना जैन

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