ए आंसू – कविता
ए आंसू कैसे आंसू हैँ ज़ो हर मौसम मे आये हैं l
ख़ुशी मे भी ए छलके थे और गम मे टपटपाये हैं l
मुझे हसना नही आता उन्हे रोना नही आता l
उन्हे पाना नही आता मुझे खोना नही आता l
निभाना अब बहुत दुश्वार है नाजुक से रिश्तों को l
बुजुर्गों कि हवेली मे कहाँ अपने ओ शाये हैं l
कहाँ चाचा कहाँ चाची कहाँ बहने कहाँ भाई l
यही तो अहम रिश्ते थे यहीं दीवार बन आई l
चलो एजाज़ बस्ती से नही बनना तमाशाई l
पराया शहर ही बेहतर जहाँ सब ही पराये हैं l
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कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।
लेखक: Ejaz Ahamad
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Ap k hindiansh@gmail.com p main mail do bar ki hun lekin itne din ho gye koi reply nhi aaya
Main ne apni kavita apko send do bar ki mager reply m kuch nhi aaya
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