ख्वाबों के इंतेहा में, बेगाना सफ़र तेरे साथ किया है
थोड़ा ही मगर, जीतना जिया है कुछ ख़ास जिया है
अक्सर जवानी में कुछ रिश्ते बेनाम छूट जाते है,
पर इश्क़ की बात चली तो, ‘बनारस’ इकलौता नाम लिया है।।
अस्सी घाट की मैगी, मधुबन की हरियाली
दशाश्वमेध की आरती, रविदास की घटा निराली।
गोदौलिया चौराहे का पान, अस्सी की वो चाय की प्याली
शाम बनारस की ऐसे सजती है जैसे हर रोज़ दीवाली।।
संकट मोचन के लड्डू, दुर्गाकुंड के पेडें
सियाराम का समोसा, विश्वनाथ गली की वो जलेबी हमको छेड़े।
जो टकराए किसी से राह में, च–चचा बोल के मिलती माफ़ी है
बनारस में BHU और BHU में VT की प्रसिद्ध कोल्ड कॉफी है ।
बनारस की सुबह में घाटों के तट पर शीतल नीर है,
दोपहर की करो बात तो गोदौलिया से दालमंडी तक भीषण भीड़ है।
कैंट से BHU तक मंदिर,मस्जिद, गुरुद्वारा व चर्च के नज़ारे हैं
बनारसियों का भाईचारा व उनकी बोली ही तो इस संस्कृति के सितारे हैं।।
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कवि: Vishnu P. Singh
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बहुत अच्छा वर्णन…….