आज के समय में कविता
घिरे हुए
आज के समय में
हम सब चारों ओर से
घिरे पड़े हैं
कोई बरोजगारी में घिरा
कोई ज्यादा दौलत से घिरा
कोई शर्म के दामन में घिरा
कोई गरीबी की मार में घिरा
कोई दो वक्त रोटी की मांग में घिरा
कोई बच्चों की पढ़ाई की मार में घिरा
कोई मजदूरी की चाहत की मार में घिरा
हर कोई किसी न किसी रूप में घिरा हुआ है
ये घिरतेपन से कब आजाद होगा ।
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कवि द्वारा इस कविता को पूर्ण रूप से स्वयं का बताया गया है। ओर हमारे पास इसके पुक्ते रिकॉर्ड्स है। कवि ने स्वयं माना है यह कविता उन्होंने किसी ओर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करवाई है।रचनाकार – खान मनजीत भावड़िया मजीदगांव भावड तह गोहाना जिला सोनीपत हरियाणा
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