अपनी मंजिल

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अपनी मंजिल 

           रोहित व साहिल काफी समय से बहुत करीबी मित्र थे। दोनों मध्यम परिवार से थे। वह दोनों जहां भी जाते थे, हमेशा साथ रहते थे। कुछ वर्षों पश्चात साहिल एक अमीर आदमी बन जाता है, परंतु रोहित जहां था वहीं रह गया।
           एक दिन रोहित ने अपने दोस्त साहिल से इस बारे में पूछा कि आखिर क्या वजह है कि मैं जहां था वहीं रह गया और तू इतना बड़ा आदमी बन गया।
          साहिल इसका उत्तर देने के लिए रोहित को एक दिन एक सुनसान जगह पर ले जाता है। जहां न कोई व्यक्ति दिख रहे थे, या ना कोई घर था।वहां जाने के बाद दोनों बातें करने लगे असल में साहिल रोहित को बातों में लगाना चाहता था। 
काफी समय बीत जाने के बाद रोहित ने कहा कि तु मुझे यहां कुछ बताने के लिए लाया था। पर साहिल बात टाल देता है। कुछ समय पश्चात रोहित को जोर से प्यास लगने लगती है।जब वह साहिल को कहता है। तो साहिल कहता है कि यहां से कुछ दूरी पर एक होटल है, जहां तुझे पानी मिल सकता है।और खुद बैग से बोतल निकालकर पानी पीने लगता है। 
जब रोहित उससे पानी मांगता है तो साहिल मना कर देता है, और कहता है मैंने पहले ही तुझे पानी तक पहुंचने का रास्ता बता दिया है, तू खुद भी वहां तक जा सकता है। कुछ समय तक रोहित इंतजार करता है, कि शायद उसे साहिल से पानी पीने को मिल जाए परंतु ऐसा नहीं होता है। 
अब रोहित थका हारा साहिल के द्वारा बताई गई होटल की तरफ भागता है। क्योंकि वह अब तक बहुत प्यासा हो चुका था। अर्थात अब तक उसका गला भी सूख चुका था। जैसे-तैसे उठते गिरते रोहित होटल के पास पहुंच जाता है। पानी पीने के बाद कुछ समय के लिए वहां बैठ जाता है।
          कुछ समय में  साहिल भी वहां आ जाता है। परंतु रोहित उससे बात तक नहीं करता है। और कहता है कैसा दोस्त है, तू तो आज मेरी जान ही ले लेता पहले तो इतना दूर ले गया और फिर पानी तक पीने को नहीं दिया। और जो बात  बताने के लिए तू मुझे वहां ले गया था, वह तो अभी तक नहीं बतायी।

 

तभी साहिल कहता है “देख भाई मैंने तुझे रास्ता पहले से ही बता दिया था। परंतु तुझे तो  पक्का पकाया चाहिए था”। और कहता है तू इतना आगे कैसे निकल गया। और मैं तो वहीं रह गया। मेहनत करना  तो तू चाहता नहीं है, और बड़े-बड़े सपने देखता है। तो यह कैसे संभव है। बाद में तो तुझे यहां आना ही पड़ा तो पहले क्यों तू मेरे ऊपर निर्भर था।
                                 🙏🙏🙏

सारांश -जिस प्रकार गधे को पानी पिलाने के लिए तालाब तक तो ले जाया जा सकता है। परंतु दूसरों के द्वारा उसे पानी नहीं पिलाया जा सकता। उसी प्रकार जिंदगी में हमें रास्ता दिखाने वाले तो बहुत मिलेंगे परंतु वहां तक जाने का प्रयास हमें खुद ही करना पड़ेगा।

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